प्रादेशिक
देशव्यापी परिवहन हड़ताल से लाखों यात्री परेशानी में
लखनऊ/कोलकाता/तिरुवनंतपुरम | यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्त सजा के प्रावधान वाले प्रस्तावित ‘सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक-2014’ के विरोध में गुरुवार को परिवहन संचालकों के देशव्यापी हड़ताल से देश भर में लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशनों पर यात्री फंसे रहे तथा लोगों को कार्यालय जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
देश भर के मजदूर संघ भाजपा पर कामगार विरोधी नीति बनाने का आरोप लगाते हुए इस प्रस्तावित विधेयक को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं। नए विधेयक में लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाने पर 50 हजार रुपये, शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये और अत्यधिक तेज परिचालन पर 6,000 रुपये के चालान का प्रावधान है। इसे मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए रखा जाना है। विधेयक में एक नियामक प्राधिकरण गठित किए जाने का भी प्रावधान है। परिवहन संचालकों का कहना है कि विधेयक में विभिन्न उल्लंघनों के लिए निर्धारित किया गया जुर्माना काफी अधिक है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हालांकि इसे वाजिब बताते हुए कहा है कि अगले पांच साल में सालाना दुर्घटनाओं की संख्या घटाकर दो लाख तक लाने के लिए यह जरूरी है। सालाना दुर्घटनाओं की संख्या अभी 4.90 लाख है और इसमें से 25 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं गंभीर प्रकृति की होती हैं।
सार्वजनिक परिवहन, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी संचालकों द्वारा बुलाई गई 24 घंटे की हड़ताल के कारण केरल में बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे पर हजारों लोग फंसे हुए हैं। राज्य में छह श्रमिक संघों ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। त्रिपुरा में भी बंद के कारण सार्वजनिक परिवहन बुरी तरह प्रभावित रहा। परिवहन कार्यकर्ताओं ने पूरे त्रिपुरा में रैलियां निकालीं। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की कार्य समिति के सदस्य तापस दत्ता ने आईएएनएस को बताया, “हड़ताल का व्यापक असर हुआ है। राज्य में कहीं भी अप्रिय घटना घटित नहीं हुई है।” देशभर में सीटू, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस और भारतीय मजदूर संघ ने विधेयक के खिलाफ 24 घंटे के हड़ताल का आह्वान किया है।
कुछ राज्यों को यह संदेह है कि प्रस्तावित विधेयक उनकी वित्तीय, विधायी और प्रशासनिक शक्तियों का अतिक्रमण कर लेगा। हरियाणा में सरकारी बस सेवा पूरी तरह चरमरा गई है। निजी बस चालक भी अपनी बसों को संचालित नहीं कर रहे हैं। इससे यात्री असहाय से हो गए हैं। ऑटो-रिक्शा और रिक्शा चालक यात्रियों की मुश्किलों का फायदा उठा कर ज्यादा किराया वसूल कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और बसों के न चलने के कारण कोलकाता सहित पूरे राज्य में अधिकांश सड़कें लगभग सूनी पड़ी रहीं। हावड़ा एवं सियालदह रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को तथा कार्यालय जाने वाले लोगों को टैक्सी या बस के अभाव में भारी मुसीबत झेलनी पड़ी।
कोलकाता और हावड़ा के कई हिस्सों से बसों में तोड़-फोड़ की खबरें भी मिली हैं। गुरुवार को सभी निजी स्कूल बंद रहे, जबकि सरकारी स्कूलों में मामूली उपस्थिति दर्ज की गई, क्योंकि अधिकांश परिजनों ने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। प्रमुख विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं ने बंद के समर्थन में कोलकाता और राज्य में कई जगहों पर रैलियां निकालीं। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेशवासियों से बंद को निष्क्रिय करने का अह्वान किया। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए ड्यूटी पर अनिवार्य रूप से पहुंचने के लिए एक परिपत्र जारी किया था। उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ सहित कई जिलों में हड़ताल का असर दिखायी दे रहा है। अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। रोडवेज से अनुबंधित बसों के चालक भी इस हड़ताल में शामिल हैं।
दूसरी तरफ हड़ताल का विरोध कर रहे संगठनों ने परिवहन व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने का दावा किया है। रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रवक्ता आर. पी. वर्मा ने कहा इस विधेयक के खिलाफ बुधवार मध्यरात्रि से ही बसों का संचालन बंद करा दिया गया है। इस हड़ताल का टेम्पो-टैक्सी महासंघ सहित कई अन्य संगठन समर्थन कर रहे हैं। वहीं लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने हड़ताल का पुरजोर विरोध किया है। परिवहन संगठनों की बुधवार को हुई बैठक के बाद हड़ताल में शामिल न होने का फैसला लिया गया। रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक ए. के. सिंह ने बताया कि हड़ताल का आह्वान केवल एक संगठन ने किया है, जबकि शेष संगठन इसमें शामिल नहीं है। इस कारण हड़ताल का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। एहतियात के तौर पर प्रशासन व पुलिस को इसकी जानकारी दे दी गई है।
बंद का तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आंशिक असर देखा गया। हैदराबाद में परिवहन सेवाएं आंशिक तौर पर प्रभावित रहीं, क्योंकि ऑटो-रिक्शॉ, कैब और ट्रक पूर्ववत चलते रहे। राज्य सरकार के सड़क परिवहन निगम (आरटीसी) के मुख्य कर्मचारी संघ ने इस बंद में हिस्सा नहीं लिया, जिससे दोनों ही राज्यों में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित नहीं हुआ। आरटीसी के अधिकारियों ने बताया कि सभी शहरों एवं कस्बों में बस सेवाएं पहले की भांति ही जारी रही। दोनों राज्यों में आरटीसी के कई बस डिपो पर कुछ कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया। काली पट्टी लगाए प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने नए विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की। ऑटो चालकों के कुछ संघों ने विधेयक में श्रमिक विरोधी प्रावधानों का आरोप लगाते हुए एक रैली का आयोजन किया। बंद का करीमनगर, निजामाबाद और तेलंगाना के अन्य शहरों में खास असर नहीं रहा। विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, तिरुपति और आंध्र प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में बंद का मामूली असर रहा।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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