उत्तर प्रदेश
योगी सरकार की अगुवाई में हो रहा किशोरों के स्वास्थ्य और विकास पर मंथन
लखनऊ। किशोरों की शिक्षा, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक विकास किसी भी देश और समाज के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की इस मुहिम को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी गंभीरता से लिया है और इस दिशा में कदम बढ़ाया है। योगी सरकार द्वारा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना (एनपीईपी) के अंतर्गत नई दिल्ली स्थित एनसीईआरटी की देखरेख में एक मंथन आयोजित कर रही है। जिसमें उत्तर प्रदेश समेत 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 5 क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों से लगभग 70 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
यह मंथन किशोरों के समग्र विकास के लिए नीतियों का निर्माण करने और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का एक प्रयास है। इस कार्यक्रम में सामाजिक विज्ञान शिक्षा विभाग, एनसीईआरटी नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश एससीईआरटी की सहभागिता से किशोरों को स्वस्थ जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने के प्रयासों की चर्चा हो रही है और आगे की योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
किशोरों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
इस मंथन में किशोरों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) जैसे हृदय रोग, कैंसर और श्वास संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के किशोरों में भी स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने के प्रयास करने के उपाय खोजे जा रहे हैं।
एनसीईआरटी के निदेशक बोले
निदेशक, प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी ने दूरभाष पर बताया कि एनसीईआरटी के तत्वावधान में 19 से 21 अक्टूबर तक आयोजित राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना (एनपीईपी) की मध्यावधि समीक्षा चल रही है। इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम छमाही अवधि के दौरान देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, एससीईआरटी और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों द्वारा जनसंख्या शिक्षा से संबंधित कार्यों की समीक्षा की जा रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अलोक में हो रहा प्रयास
एनसीईआरटी की प्रो. गौरी श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और एनसीएफ 2023 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, यह मंथन किशोरों की शिक्षा और समग्र विकास पर केंद्रित है। इसमें यह सुनिश्चित करने के प्रयास हो रहे हैं कि विभिन्न राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किशोरों के विकास के लिए बनाई जाने वाली नीतियों का सटीक और प्रभावी निर्माण किया जा सके।
भारतीय ज्ञान परंपरा पर दिया जा रहा जोर
एससीईआरटी लखनऊ के निदेशक गणेश कुमार के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) के अंतर्गत टीम वर्क, मूल्य संवर्धन और भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े महत्व को भी रेखांकित किया जा रहा है। यह एक तरह से योजना के मध्यावधि प्रगति की समीक्षा है।
किशोरों के भविष्य पर गंभीर चर्चा
एससीईआरटी, उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान कहते हैं कि इस तीन दिवसीय मंथन कार्यक्रम में 21 अक्टूबर तक विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों द्वारा किशोरों के भविष्य से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श व मध्यावधि समीक्षा हो रही है। इसका उद्देश्य देश की युवा पीढ़ी को सशक्त और जागरूक बनाने के लिए भविष्य की ठोस नीतियों का निर्माण करना है। डॉ. सचान ने बताया कि किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखने पर जोर, शारीरिक व्यायाम और प्ले ग्राउंड की आवश्यकता पर विशेष बल देने का साथ ही ड्रग्स और इंटरनेट की लत के खतरों पर भी विचार-विमर्श हो रहा है।
कहती है आईसीएमआर की रिपोर्ट
आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2016 के बीच भारत में गैर-संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि हुई है। इसे ध्यान में रखते हुए अब योगी सरकार ने भी यूपी के किशोरों में स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और नशे से दूर रहने के लिए विशेष अभियान शुरू कर दिये हैं। हालांकि अभी इसे और पुष्ट करने की कोशिशें जारी हैं।
समाज में जिम्मेदार नागरिक के रूप में किशोरों को तैयार करना है उद्देश्य: संदीप सिंह
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप की मानें तो इस मंथन का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य किशोरों को समाज में एक सक्रिय और जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है। इस मंथन में कम उम्र में विवाह, मादक द्रव्यों का सेवन और सामाजिक हिंसा जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा की जा रही है, ताकि किशोरों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए उचित मार्गदर्शन किया जा सके।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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