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संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार से मांगा जवाब

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार से संसदीय सचिवों के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की नियुक्ति पर जवाब मांगा है। न्यायालय ने दिल्ली की आप सरकार द्वारा की गई इन नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी एवं न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि इस पर और विचार किए जाने की जरूरत है।

खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने के लिए कहा और मामले की सुनवाई के लिए पहली जुलाई की तारीख तय की। उच्च न्यायालय में आप सरकार के खिलाफ यह जनहित याचिका एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने दायर की है। इसके लिए एनजीओ ने आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने के दिल्ली सरकार के निर्णय को चुनौती दी है।

खंडपीठ ने कहा, “हम इस आदेश पर स्थगन नहीं लगा सकते..दिल्ली सरकार ने अतिरिक्त समय मांगा है, पहले उन्हें जवाब देने दें।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्र सरकार और संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों के खिलाफ दायर की गई याचिका में नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाते हुए इन्हें रद्द करने का आग्रह किया गया है।

केजरीवाल सरकार ने फरवरी में दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद सरकारी मंत्रालयों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। दिल्ली सरकार का दावा है कि मंत्रालय के कार्यों के सुचारू रूप से संचालन के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि सचिवों को इस पद और काम के लिए कोई वेतन या विशेष सुविधा नहीं दी जाएगी, जिसका मतलब यह हुआ कि राजकोष पर अतिरिक्त भार नहीं होगा। हालांकि सचिवों को मंत्रालय के काम के सिलसिले में सरकारी वाहनों के इस्तेमाल की अनुमति होगी और काम करने के लिए मंत्रियों के कार्यालय में उन्हें अलग कमरा दिया जाएगा।

उधर, याचिका में कहा गया कि ये नियुक्तियां असंवैधानिक, गैरकानूनी और अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं। मुख्यमंत्री के पास संसदीय सचिवों को शपथ दिलाने का अधिकार या शक्ति नहीं है। आप के जिन विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है, उनमें प्रवीण कुमार (शिक्षा), शरद कुमार (राजस्व ), आदर्श शास्त्री (सूचना प्रौद्योगिकी), मदन लाल (सतर्कता), चरण गोयल (वित्त), संजीव झा (परिवहन), सरिता सिंह (रोजगार), नरेश यादव (श्रम), जरनैल सिंह (विकास) और राजेश गुप्ता (स्वास्थ्य) प्रमुख हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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