लाइफ स्टाइल
मतदान से भागते हैं धूम्रपान करने वाले
न्यूयार्क| एक ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि धूम्रपान करने वाले 60 फीसदी लोग मतदान में हिस्सा नहीं लेते, जिससे ऐसे लोगों के हाशिये पर जाने वाली धारणा को बल मिला है। अध्ययन के लेखक एवं कोलोरैडो विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक कारेन एलब्राइट के अनुसार, “इससे पहले हुए अध्ययनों के जरिए हमें पता है कि धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करने वाले लोग तेजी से हाशिये पर जा रहे हैं तथा वे सांगठनिक एवं अन्य गतिविधियों में कम ही शामिल होते हैं। इसके अलावा धुम्रपान न करने वाले लोगों की अपेक्षा ऐसे लोगों में आत्मविश्वास भी कम होता है।”
एलब्राइट ने कहा, “लेकिन हमारे शोध में सामने आया है कि हाशिये पर जाने की यह स्थिति वैयक्तिक स्तर से कहीं अधिक बड़ी है तथा राजनीतिक प्रणाली और राजनीतिक संस्थानों से भी वे दूर जा रहे हैं।”
यह अध्ययन फोन पर करीब 11,626 लोगों से बातचीत के जरिये किया गया। लोगों से जनसांख्यिकी, सामाजिक एवं व्यावहारिक सवाल पूछे गए।
सर्वेक्षण में प्रतिभागियों से पूछे गए सवाल में धूम्रपान से जुड़े व्यवहार के बारे में भी सवाल था और उनसे यह भी पूछा गया कि क्या उन्होंने हाल में हुए मतदान में हिस्सा लिया था।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन धूम्रपान करने वाले 60 फीसदी प्रतिभागियों ने धूम्रपान न करने वालों की अपेक्षा मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
हालांकि अध्ययन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि धूम्रपान करने वाले लोगों में मतदान को लेकर यह अरुचि क्यों होती है?
इसके पीछे एक वजह यह हो सकती है कि धूम्रपान करने वाले लोग तंबाकू पर तमाम तरह के कर लगाने और अन्य प्रतिबंधों के कारण राजनीतिक संस्थाओं को दमनकारी के रूप में देखते हों।
यह अध्ययन शोध पत्रिका ‘निकोटीन एंड टोबैको’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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