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प्रादेशिक

मैगी की खेप बाजार से हटाने का आदेश

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लखनऊ/नई दिल्ली। हर आम आदमी के मुंह लगे मैगी पर आरोप है कि उसमें कई पदार्थ खतरनाक स्तर तक मिलाए जाते हैं और इस बिनाह पर उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा विभाग ने गुरुवार को कहा कि निर्माता कंपनी नेस्ले को इसे बाजार से हटाने का आदेश दिया गया है। कंपनी ने हालांकि कहा है कि वह सख्ती के साथ मानकों का पालन करती है। उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा उपायुक्त विजय बहादुर ने कहा कि नेस्ले को मैगी की अन्य खेपों की गुणवत्ता जांचने के लिए भी कहा गया है।

उल्लेखनीय है कि मैगी के लिए गए कुछ नमूने में सीमा से अधिक सीसा और मोनोसोडियम ग्लाटामेट (एमएसजी) पाए गए हैं। नेस्ले ने ई-मेल के जरिए कहा कि जिस खेप की बात की जा रही है, वह गत वर्ष नवंबर में ही एक्सपायर हो चुका है और पूरा विश्वास है कि इसे खुद-ब-खुद वापस ले लिया गया है। नेस्ले ने कहा, “हमने एक स्वतंत्र प्रयोगशाला को नमूने दिए हैं और उसकी रिपोर्ट हम अधिकारियों के साथ साझा करेंगे।”

लखनऊ में अधिकारियों ने कहा कि नमूने गत सप्ताह बाराबंकी जिले में ईजी डे डिपार्टमेंट स्टोर से लिए गए थे। नेस्ले ने हालांकि कहा कि उसे पूरा विश्वास है कि इस खेप के पैकेट बाजार में उपलब्ध नहीं होंगे। कंपनी ने कहा कि कंपनी आदेश से सहमति नहीं जताती है और इस पर अधिकारियों से बात करेगी। राज्य के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय प्रताप सिंह ने कहा कि और भी नमूने लिए गए हैं और विभाग के अधिकारियों से यह देखने के लिए कहा गया है कि क्या उस खेप के और भी मैगी के पैकेट बाजार में बिक रहे हैं।

केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एजेंसी भारतीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के निदेशक विमल कुमार दूबे ने कहा, “हमने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच की रिपोर्ट मांगी है। जांच के परिणाम के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।” एमएसजी के मुद्दे पर नेस्ले ने कहा कि भारत में बिकने वाली मैगी में ये पदार्थ नहीं मिलाए जाते। कंपनी ने साथ ही कहा कि मैगी बनाने में काम आने वाले हाइडोलाइज्ड मूंगफली प्रोटीन, प्याज के पाउडर, और मैदे सभी में ग्लटामेट पाए जाते हैं। नेस्ले ने कहा, “हमारा विश्वास है कि जांच में ग्लटामेट पाया गया होगा, जो हर प्रकार के भोज्य पदार्थो में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।” कंपनी ने कहा कि इसे गलती से एमएसजी समझ लिया गया होगा।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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