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प्रादेशिक

आरओ शोधन प्रणाली स्वास्थ्य के लिए हानिकारक?

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कोलकाता| साफ, स्वास्थ्यवर्धक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए रिवर्स-ओस्मोसिस (आरओ) जल शोधक प्रणाली को एक अच्छा अविष्कार माना जाता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि आरओ प्रौद्योगिकी का अनियंत्रित प्रयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। भारत में सबसे लोकप्रिय जलशोधकों में से एक आरओ प्रक्रिया खासतौर से दूषित पानी वाले इलाकों में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे विषाक्त पदार्थो का शोधन करने में कुशल हैं।

इसके साथ ही घरेलू और औद्योगिक स्तर पर लगे आरओ सिस्टम इन विषाक्त पदार्थो को वापस भूजल जलवाही स्तर पर पहुंचा देते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि आरओ के गैरपरीक्षित उपयोग को रोकने के लिए नियम बनाने की जरूरत है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में सेंटर फॉर स्टडीज इन साइंस पॉलिसी के सहायक प्रोफेसर सरदिंदु भादुड़ी ने बताया, “हमने अपने सर्वे में पाया कि बोतल बंद पानी जैसे औद्योगिक फर्म और घरों में आरओ फिल्टर के बाद बचा दूषित पदार्थ युक्त बेकार पानी भूजल के जलवाही स्तर में वापस डालने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।”

बेकार पानी जलवाही स्तर पर पहुंचने से इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

अध्ययन के सह-लेखक, जेएनयू के अविराम शर्मा ने बताया, “बेकार पानी में सल्फेट, कैल्सियम, बाईकार्बोनेट्स जैसे पूरी तरह विघटित लवण और कार्बनिक पदार्थ तथा आर्सेनिक और फ्लोराइड उच्च मात्रा में होते हैं।”

‘करंट साइंस’ जर्नल में 25 अप्रैल को ‘ग्रोथ ऑफ वॉटर प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजीज इन एरा और रेगुलेटरी वैकम इन इंडिया’ शीर्षक से प्रकाशित इस सर्वे में शोधन के बाद बचे दूषित बेकार पानी के खत्म करने उपयुक्त तरीकों के अभाव पर भी सवाल उठाए गए।

शोध में बताया गया कि भारत में बोंतल बंद पानी बेंचने वाली अधिकतर कंपनियां अपने प्लांटों में आरओ प्रणाली का प्रयोग करती हैं, क्योंकि इयोन-एक्सचेंज विधि की तुलना में इस प्रणाली में कम निगरानी में अधित मात्रा में जल शोधन किया जा सकता है।

हालांकि इसमें एक दोष है। औद्योगिक प्रयोग के दौरान कुल उपयोग किए गए पानी में 30 से 40 फीसदी पानी बेकार हो जाता है।

जल शोधक बाजार में कदम रखने वाली कंपनी कुचीना के निदेशक नमित बाजोरिया ने बताया कि बचा बेकार पानी चिंता का विषय है।

बाजोरिया ने बताया, “यह समान और विपरीत प्रतिक्रिया जैसा है। 100 लीटर पानी में केवल 10 से 12 लीटर शुद्ध पानी मिलता है। इसलिए बेकार बचा पानी एक बड़ी समस्या है। लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि इससे भूजल को नुकसान पहुंच सकता है।”

 

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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