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अन्तर्राष्ट्रीय

अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप निवेशकों के लिए ठीक नहीं : जेटली

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न्यूयॉर्क | वाणिज्यिक मध्यस्थता में अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप निवेशकों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि इससे भारतीय कंपनियों पर लागत बढ़ती है और मंत्रिमंडल इससे निपटने के लिए कानून में बदलाव पर विचार कर रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को यह बात कही। जेटली ने कहा, “जब भारत ने वैश्विक अनुकूलता, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के लिए विवाद निवारण कानून बनाए तो न्यायालय ने इसकी व्याख्या की कि ‘हमारे अधिकार-क्षेत्र समाप्त नहीं हुए है, हम हस्तक्षेप कर सकते हैं’।”

उन्होंने कहा, “इस दृष्टिकोण के कारण भारतीय पक्षों के लिए यह काफी महंगा साबित हुआ, क्योंकि उसके बाद सभी करारों का एक महत्वपूर्ण अवयव यानी विवाद निपटान स्थल भारत के बाहर होगा और बुनियादी व पक्रियागत कानून भी भारत के बाहर होंगे” जेटली ने कहा, “यह भारतीय पक्षों के लिए बहुत महंगा साबित हुआ है। इसलिए अत्यधिक हस्तक्षेप या अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप की प्रवृत्ति निवेशकों के हित में नहीं है।” अमेरिका के पूर्व वित्त मंत्री टिमोथी गीथनर की अध्यक्षता में आयोजित एक चर्चा सत्र में भाग लेते हुए जेटली अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचागत विकास एजेंडे पर न्यायपालिका के प्रभाव के बारे में उपस्थित लोगों के प्रश्नों के जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा, “भारत में सरकार और विधि आयोग ने न्यायालयों के कुछ हस्तक्षेपवादी फैसलों की जांच की और अपने खुद के विवाद निपटान कानून में बदलाव का सुझाव दिया है। ये बदलाव अब मंत्रिमंडल के समक्ष हैं और हम उन निर्णयों के प्रभावों को निष्प्रभावी करेंगे ताकि घरेलू न्यायाधिकरण अपनी शर्तो पर काम कर सकें।” अदालतों में होने वाली देरी पर जेटली ने कहा, “भारत की न्यायिक प्रणाली स्वतंत्र है, लेकिन धीमी है, क्योंकि यह अत्यंत स्वतंत्र है। इसकी गति बढ़ाने की सरकार की क्षमता सीमित है। स्वतंत्र प्रणाली में अपनी स्वयं की तेजी और गति के सहारे ही सुधार आता है। इस सत्र का केंद्रबिंदु भारत में आर्थिक सुधार था। गीथनर ने कहा, “आज भारत में संसद में सशक्त बहुमत और स्पष्ट जनादेश के साथ सशक्त प्रधानमंत्री के चुनाव और एक उत्कृष्ट वित्त मंत्री, यह सब देखकर लगता है कि भारत में दशकों में यह सुधारों की सबसे उम्दा अवधि है।”

जेटली ने कहा कि वह नहीं चाहते कि आर्थिक एजेंडे के क्रियान्वयन में संसद बाधा बने, यहां तक कि भाजपा राज्यसभा में बहुमत में भी नहीं है। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उन्होंने कहा, “ऊपरी सदन में कुछ बाधा आई है, लेकिन यह बाधा अधिक समय तक नहीं रहेगी। अबतक हमारी सरकार के किसी भी विधेयक को नकारा नहीं गया है। इनमें से दो को बाधित किया गया है। यानी समितियों में उन पर चर्चा की जा रही है।” जेटली का मानना है कि उच्च विकास दर हासिल करने के लिए अगले दो या तीन साल बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस दौरान आर्थिक सुधार क्रियान्वित होंगे।

IANS News

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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