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प्रादेशिक

सीबीआई जांच वीरभद्र के खिलाफ एक चाल : कांग्रेस

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शिमला | कांग्रेस पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रति एकजुटता दर्शाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि वीरभद्र के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिक जांच पूर्व केंद्रीय मंत्री की छवि खराब करने की चाल है।

राज्य मंत्रिमंडल की सदस्य विद्या स्टोक्स, कौल सिंह, जी.एस. बाली और मुकेश अग्निहोत्री ने बयान जारी कर कहा, “भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए जांच एजेंसी पर दबाव बना रही है और उसका गलत इस्तेमाल कर रही है।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के इशारे पर वीरभद्र सिंह को जानबूझ कर निशाना बना रही है, जबकि धूमल खुद कई आरोपों का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वीरभद्र पर लगे आरोपों में कुछ भी नया नहीं है और यह आरोप भाजपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी लगाया था। उन्होंने कहा, “सीबीआई ने अपनी विस्तृत जांच के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी रपट सील बंद लिफाफे में पेश की थी। यह बेहद अजीब है कि न्यायालय में लंबित मामले पर फैसला आने से पहले सीबीआई मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच के लिए आगे बढ़ गई।” यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सीबीआई ने गुरुवार को वीरभद्र तथा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच शुरू कर दी। साथ ही सीबीआई उनके केंद्रीय इस्पात मंत्री रहने के दौरान आय से अधिक संपत्ति के स्रोत का भी पता लगा रही है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने आयकर विभाग के आदेश पर जांच शुरू की है, जिसमें कहा गया है कि वीरभद्र और उनके परिवार की तरफ से दाखिल किए गए संशोधित रिटर्न्‍स में उनकी कृषि से संबंधित आय में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। ऐसा लगता है कि 6.1 करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदने में किए गए निवेश को जायज ठहराने की यह एक कोशिश है। वीरभद्र सिंह ने इन आरोपों से इंकार किया है। वीरभद्र ने शिमला में बयान जारी कर कहा कि उन्होंने आयकर विभाग को अपने आयकर संबंधित ब्यौरा उपलब्ध करा दिया है और इस मामले को विभिन्न स्तर पर देखा जा रहा है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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