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प्रादेशिक

बौने हो रहे उप्र के बच्चे

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लखनऊ। बाल विकास मंत्रालय के एक सर्वेक्षण में हुआ है कि उत्तर प्रदेश के बच्चे बौने होते जा रहे हैं। बच्चों को पहले हॉटकुक खिलाया गया और अब पुष्टाहार बांटा जा रहा है, ताकि उनका शारीरिक व मानसिक विकास हो सके। मगर ऐसा होता दिख नहीं रहा है।

सामान्यत: तीन साल के लड़के की लंबाई 94.9 सेंटीमीटर व लड़की की 93 सेंटीमीटर होनी चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण में लड़कों की लंबाई 89 सेंटीमीटर व लड़कियों की 88 सेंटीमीटर मिली है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, लखनऊ व इलाहाबाद के बच्चों की लंबाई सामान्य पाई है। यहां सात फीसद बच्चों की लंबाई कम मिली है। बाकी बच्चों की शारीरिक वृद्धि अच्छी पाई है, जबकि बरेली व शाहजहांपुर में दस फीसद बच्चों की लंबाई सामान्य से कम मिली है।

 

इन जिलों के 3.22 लाख बच्चों की लंबाई नापी गई थी। यहां तीन साल की लड़कियों की ऊंचाई 90 से 91 सेंटीमीटर के बीच मिली है। पीलीभीत में तीन साल के लड़कों की ऊंचाई 89 सेंटीमीटर व लड़कियों की 87 से 88 सेंटीमीटर पाई गई है।

इसी तरह बदायूं के 45 हजार बच्चों की लंबाई नापी गई। इसमें तीन साल के 40 फीसद बच्चों की लंबाई 88 से 89 सेंटीमीटर के बीच मिली है। चार साल के बच्चों की लंबाई 100.2 सेंटीमीटर मिली है, जबकि इस उम्र में 102.9 सेंटीमीटर होनी चाहिए। लड़कियों की लंबाई 101 सेंटीमीटर के बजाय 99.1 सेंटीमीटर मिली है।

इसके अलावा औरैया, गाजीपुर, बलिया, ललितपुर, बाराबंकी समेत 42 जनपदों के बच्चों की ऊंचाई व वजन कम मिला है। यदि वजन व लंबाई इन बच्चों की लगातार गिरती रही तो यह कुपोषण की श्रेणी में आ जाएंगे।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने इस सर्वेक्षण का मिलान सभी जनपदों की ओर से भेजे गए बच्चे के वजन व लंबाई के आंकड़ों से किया है। उसके बाद ही इसका खुलासा किया है।

प्रमुख सचिव चंचल तिवारी ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाखों बच्चे आ रहे हैं। इनके बौने होने का प्रमुख कारण दूषित भोजन, पानी व वातावरण है।

उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को दूषित खाना व पानी न दिया जाए, इसके लिए अभिभावकों को जागरूक किया जाए। आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाते हुए उनमें शौचालयों की व्यवस्था की जाए। शुद्ध पानी के लिए भी व्यवस्था केंद्र पर हो।

 

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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