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सिर्फ विरोध के लिए विरोध कहां तक जायज है?

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मध्‍य एशिया के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा कई मायनों में आशातीय सफलता की कहानी कहता है। विश्‍व में सबसे ज्‍यादा यू‍रेनियम उत्‍पादन करने वाले देश कजाकिस्‍तान से पांच हजार टन यू‍रेनियम की आपूर्ति सहित पांच महत्‍तवपूर्ण समझौते, पुराने व हमारे सबसे भरोसेमंद मित्र रूस से मित्रता की एक नई शुरूआत, ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर चीन व पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश सहित तमाम ऐसी सफलताएं भारत को मिली हैं जिसके चलते इस यात्रा को मोदी की एक और सफल विदेश यात्रा कहा जा सकता है। लेकिन इस यात्रा की सबसे बड़ी सफलता के रूप में मोदी और नवाज शरीफ की रूस के ऊफा में हुई मुलाकात को रेखांकित करना बेमानी न होगा।

मोदी और नवाज की द्विपक्षीय बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों ने सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने और मुंबई आतंकवादी हमलों की सुनवाई में तेजी लाने पर भी सहमति जताई। दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद मछुआरों को रिहा करने, नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक बुलाने, धार्मिक पर्यटन बढ़ाने पर भी सहमति जताई। साथ ही भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) तथा पाकिस्तानी समकक्ष के साथ महानिदेशक स्तर की वार्ता और दोनों देशों की सेना के बीच भी महानिदेशक स्तर की वार्ता की सहमति बनी।

जैसी की उम्‍मीद थी, मुद्दाविहीन कांग्रेस ने इस मुलाकात की भी आलोचना की है। कांग्रेस का कहना है कि जब एक तरफ पाकिस्‍तान सीमा पर अकारण गोलीबारी करके हमारे जवानों को शहीद कर रहा है तो ऐसे में मोदी का नवाज शरीफ से मिलना उचित नहीं था। यह वही कांग्रेस है जिसके शासनकाल में जब सैनिकों की गर्दन काट ली जाती थी तो उनके कर्णधार एक बयान तक नहीं देते थे।

यह सही है कि पाकिस्‍तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता लेकिन यहां यह भी समझना चाहिए कि पाकिस्‍तानी राजनेताओं का कोई वश वहां की सेना पर नहीं चलता। तो ऐसे में पाक सेना की नापाक हरकतों के लिए बातचीत के द्वार बंद नहीं किए जा सकते। जहां तक जवाबी कार्रवाई की बात है तो हमारी सेनाएं इस समय पाकिस्‍तानी सेनाओं को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं, जिसे मीडिया के माध्‍यम से नहीं बताया जा सकता लेकिन सेना के इस बयान कि पाकिस्‍तान को मुंहतोड़ जवाब दे दिया गया है बहुत कुछ समझा जा सकता है।

सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस को शायद अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार का किस मुद्दे पर विरोध किया जाय। बेकार के मुद्दों का उठाकर वह जनता की नजरों में और गिरती जा रही है। कांग्रेस को रचनात्‍मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कम से देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है।

नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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