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भूमि विधेयक पर रिपोर्ट अगस्त के पहले सप्ताह में : सुमित्रा
नई दिल्ली। विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को देख रही संसद की संयुक्त समिति अगस्त के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को यह जानकारी दी। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत को लेकर लोकसभा में सर्वदलीय बैठक के बाद उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद एस.एस.अहलूवालिया के नेतृत्व वाली समिति द्वारा कुछ समय मांगे जाने के बाद उसे अगस्त के पहले सप्ताह तक का विस्तार दिया गया था।
उन्होंने कहा, “यह (रिपोर्ट) अगस्त के पहले सप्ताह में आने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा कि समिति और अधिक लोगों से परामर्श लेना चाहती है और सरकार का विचार जानने के लिए उसने उससे भी बातचीत की है। समिति का गठन बजट सत्र के दौरान किया गया था, जो मानसून सत्र के पहले दिन अपना रिपोर्ट सौंपने वाली थी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा पेश भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2015 का कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों ने विरोध किया है।
कांग्रेस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा साल 2013 में लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहती। संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलेगा।
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात
कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
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