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‘नगा शांति समझौते से प्रोत्साहित होंगे अन्य उग्रवादी संगठन

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अगरतला। उग्रवाद का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए और राजनीति में कदम रख चुके एक पूर्व उग्रवादी ने यहां मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच हुआ शांति समझौता दूसरे उग्रवादी संगठनों को सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इंडिजेनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्विप्रा (आईएनपीटी) के अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरांगख्वाल ने आईएएनएस को बताया, “हम केंद्र सरकार एवं एनएससीएन (आईएम) के बीच हुए शांति समझौते का स्वागत करते हैं। इस कदम से क्षेत्र के दूसरे उग्रवादी संगठनों को सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू करने में प्रोत्साहन मिलेगा।”

बिजॉय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौर का उदाहरण पेश करते हुए घोषणा की कि उग्रवादी संगठन त्रिपुरा नेशनल वोलंटियर (टीएनवी) ने केंद्र सरकार एवं त्रिपुरा सरकार के साथ 12 अगस्त 1988 को त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था और करीब 450 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद टीएनवी ने जनजातीय राजनीतिक पार्टी त्रिपुरा उपजाति जुबा समिति के साथ मिलकर 2002 में इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) का गठन किया था।

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक-मुइवाह के साथ सरकार के शांति समझौते पर बिजॉय ने कहा, “यह बात पूर्वोत्तर क्षेत्र और नगा जनजाति दोनों के हित में है, क्योंकि एनएससीएम-आईएम दशकों से नगाओं के हित और अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।” केंद्र सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच 50 से भी ज्यादा चरणों तक चली शांति वार्ता की सफलता के साथ दक्षिण एशिया का सबसे लंबे समय तक सक्रिय रहे उग्रवादी संगठन का संघर्ष भी समाप्त हो गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय से संबंधित एक अधिकारी के मुताबिक, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग सात उग्रवादी संगठन इस समय संघर्ष विराम और सरकार के साथ समझौते की प्रक्रिया में हैं। इन संगठनों में युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा-प्रो-टॉक फैक्शन) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड-प्रोग्रेसिव (एनडीएफबी-पी) का नाम भी शामिल है।

उधर, त्रिपुरा और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) की ओर से शांति वार्ता की इच्छा जताए जाने के बाद उनके साथ दो चरणों की वार्ता कर चुके हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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