बिजनेस
“हड़ताल से 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान”
नई दिल्ली। केंद्रीय मजदूर संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत देशव्यापी हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान है। यह बात एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कही। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने से अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने की संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मजदूरों की अनुपस्थिति से औद्योगिकी गतिविधि अवरुद्ध होगी। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित होने से खुदरा बाजार में भी व्यवधान पैदा होगा और बैंक कर्मियों के हड़ताल पर रहने से बैंकिंग सेवा भी प्रभावित होगी।” बुधवार की हड़ताल का देश भर में व्यापक असर हुआ है।
रावत ने कहा, “माल निर्यात करने वाले परिवहन माध्यमों पर हड़ताल का व्यापक असर होगा, जिससे समय पर माल की आपूर्ति नहीं हो पाएगी। इसके अलावा निर्यात में पहले से ही दर्ज की जा रही गिरावट के कारण यह हड़ताल एक और धक्का साबित होगी।” उद्योग संघ के मुताबिक, इसका सबसे बुरा असर गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर होगा। रावत ने कहा, “श्रम सुधार जरूरी है और उद्योग तथा देश हित में समाधान निकालने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।”
हड़ताल 12 सूत्री मांगों के पक्ष में है, जिसमें श्रम सुधार वापस लिया जाना, 15 हजार रुपये की न्यूनतम मजदूरी तय करने और सरकारी कंपनियों का निजीकरण नहीं करने जैसी मांगें शामिल हैं।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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