प्रादेशिक
बुंदेलखंड : जुनून ने 100 गांवों को दिलाई जलसंकट से मुक्ति
संदीप पौराणिक
झांसी| कई बार समस्या बदलाव का कारण बन जाती है, सूखा, पलायन और भुखमरी के लिए बदनाम बुंदेलखंड के कुछ इलाकों में भी ऐसा ही हुआ है, यहां के कुछ लोगों पर छाए बदलाव के जुनून ने 100 से अधिक गांव को जलसंकट से न केवल मुक्ति दिला दी है, बल्कि लोगों की जिदंगी में भी बदलाव ला दिया है।
बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के सात कुल मिलाकर 13 जिले आते हैं। यह इलाका हमेशा ही समस्याओं की जद में रहा है। यहां का हाल यह है कि औसतन हर तीन से पांच वर्ष के बीच में सूखा पड़ जाता है, जिसके चलते लोगों को खेतों से खाने तक को अनाज नहीं मिलता, नतीजतन रोजगार की तलाश में हजारों परिवार पलायन को मजबूर होते हैं। इतना ही नहीं फसल की बर्बादी पर हर वर्ष सैकड़ों किसान जान तक दे देते हैं।
इन स्थितियों से वाकिफ जालौन जिले के मिर्जापुर गांव के पांच नौजवानों ने पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1995 में सूखा की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए गांवों को पानीदार बनाने के अभियान की शुरुआत की, इस अभियान को शुरुआत में समस्याओं के दौर से गुजरना पड़ा, क्योंकि कोई भरोसा ही नहीं करता था कि गांव को पूरे साल पानी भी मिल सकता है।
जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह ने आईएएनएस को बताया कि युवाओं की टोली का मानना था कि सच्ची आजादी तभी है, जब कमजोर और जरुरतमंद तबके की जरुरतें पूरी हों, इसी को ध्यान में रखकर चंबल और बुंदेलखंड के गांवों में समाज सेवा की ठानी। यह काम उस इलाके में आसान नहीं था, क्योंकि उस दौर में वह क्षेत्र डकैत समस्याग्रस्त था। इसका नतीजा यह हुआ कि जब इस इलाके में काम करने की कोशिश की, तो लोगों ने हमें डकैत का एजेंट माना। उनका यह भ्रम तोड़ने में तीन वर्ष का समय लग गया।
सिंह ने आगे बताया कि उनके समाजसेवा के काम के पहले सात वर्ष अर्थात 1995 से 2002 तक का समय काफी मुश्किल भरा रहा। वर्ष 2002 में लोगों की अपेक्षा थी कि दवाई और पढ़ाई से ज्यादा उनके लिए पानी जरूरी है। उस दौरान करमरा गांव की प्रधान मूला देवी ने उन लोगों से कहा, “अगर आप लोग पानी का इंतजाम कर देते हैं तो हमें किसी चीज की जरूरत नहीं है।”
उसकी कही बात अंदर तक छू गई। उसी के चलते पास से गुजरी पहुज नदी का पानी गांव तक लाने का अभियान चलाया, एक पंप के सहारे पानी को ऊपर लाए और पाइप के जरिए खेतों तक पहुंचाया। इस कोशिश ने गांव की तस्वीर बदल दी। पानी मिलने से पैदावार कई गुना बढ़ गई। दूसरी ओर, हैंडपंप लगने से लोगों को साल भर पानी मिलने लगा। यह ऐसा गांव था जहां लोग अपनी बेटी को ब्याहने के लिए तैयार नहीं होते थे।
बीते 20 वर्ष से बुंदेलखंड में पानी के लिए काम कर रहे संजय सिंह ने बताया कि इस इलाके के छह जिलों जालौन, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी, छतरपुर व टीकमगढ़ में उनकी संस्था परमार्थ समाज सेवा संस्थान 100 से ज्यादा गांव में स्थाई तौर पर पानी का इंतजाम करने में सफल रही है। विभिन्न अनुदान देने वाली संस्थाओं की मदद से उन्होंने 80 से ज्यादा तालाब और 800 से ज्यादा अन्य जल संरचनाओं का निर्माण कराया है।
वे बताते हैं कि शुरुआती दौर में उन्हें समाजसेवी सुब्बाराव, पीजी राजगोपाल और गोपाल भाई का सान्निध्य मिला और अब जलपुरुष राजेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में बुंदेलखंड में जल समस्या के निदान के साथ पूरे देश में नदियों के बचाने के अभियान में लगे हैं। एक सवाल के जवाब में सिंह कहते हैं कि बुंदेलखंड हो या देश का कोई और हिस्सा हर जगह लोगों में पानी के प्रति जागृति आई है। वे हर कीमत पर पानी का संरक्षण और संवर्धन चाहते हैं, उन्हें जरूरत इस बात की होती है कि कोई उनके साथ खड़ा हो।
18+
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
-
उत्तराखंड3 days ago
जगद्गुरु रामभद्राचार्य अस्पताल में भर्ती, सांस लेने में तकलीफ
-
उत्तराखंड3 days ago
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख
-
राजनीति3 days ago
महाराष्ट्र विस चुनाव: सचिन ने डाला वोट, बोले- सभी लोग बाहर आकर मतदान करें
-
प्रादेशिक3 days ago
यूपी उपचुनाव : मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर बवाल, पुलिस ने संभाला मोर्चा
-
मध्य प्रदेश3 days ago
24 से 30 नवंबर तक यूके और जर्मनी प्रवास पर रहेंगे सीएम मोहन यादव, प्रदेश में निवेश लाना है मकसद
-
अन्य राज्य3 days ago
महाराष्ट्र और झारखंड में वोटिंग करने के लिए पीएम मोदी ने की खास अपील
-
प्रादेशिक2 days ago
नई दिल्ली में भव्य ‘महाकुंभ कॉन्क्लेव’ का आयोजन करेगी योगी सरकार
-
बिहार3 days ago
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकालेंगे महिला संवाद यात्रा, 225 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव