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डालमिया के निधन पर जेटली ने जताया शोक, बोले- करीबी मित्र खो दिया

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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को जगमोहन डालमिया के निधन पर शोक व्यक्त किया। जेटली ने खेल जगत में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सबसे शक्तिशाली बनाने के लिए दिग्गज खेल प्रशासक के किरदार को याद किया।

जेटली एक दशक तक दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से जुड़े हुए थे और उन्होंने पिछले साल ही संघ से इस्तीफा दिया। उन्होंने भारतीय क्रिकेट के संबंद्ध में कई मुद्दों पर डालमिया के साथ काम किया है। जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, “मैं हांगकांग में सुबह बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के निधन की दुखद खबर को सुनने के लिए उठा। उनके निधन से क्रिकेट प्रसाशन, बीसीसीआई, सीएबी और उनके दोस्त तथा परिजनों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। मेरे लिए यह एक व्यक्तिगत नुकसान है, क्योंकि दो दशकों हमने एक-दूसरे के साथ अच्छे रिश्ता साझा किया।”

उन्होंने कहा, “मैंने उनसे आखिरी बार कोलकाता में मुलाकात की थी। वह ठीक होने के लिए आशावादी थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। क्रिकेट जगत ने एक महान प्रशासक खो दिया औक मैंने एक करीबी दोस्त।” जेटली ने भारत में क्रिकेट मैचों के प्रसारण को निजी टेलीविजन चैनलों तक पहुंचाने का श्रेय डालमिया को दिया। उन्होंने कहा कि डालमिया के प्रयासों के कारण ही आज के समय में भारतीय टेलीविजन पर खेलों का प्रसारण हो रहा है।

बिंद्रा ने भी साझा कीं डालमिया से जुड़ी स्मृतियां

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष आईएस बिंद्रा ने भी जगमोहन डालमिया के साथ अपनी मित्रता को स्मरण किया। रविवार को कोलकाता के एक अस्पताल में उपचार के दौरान दिवंगत हुए डालमिया से हालांकि बिंद्रा की बाद में अनबन हो गई थी।

डालमिया 1983 में कोषाध्यक्ष के तौर पर पहली बार बीसीसीआई के साथ जुड़े और उसी वर्ष भारतीय टीम विश्व कप जीतने में सफल रही। उसके बाद बिंद्रा के साथ डालमिया विश्व कप की मेजबानी पहली बार इंग्लैंड से बाहर लाने में सफल रहे और 1987 का विश्व कप भारत और पाकिस्तान की सह मेजबानी में खेला गया। डालमिया और बिंद्रा ने साथ-साथ काम करते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट को मजबूत वित्तीय आधार तैयार किया और भारतीय क्रिकेट को विश्व में एक मजबूत ताकत के रूप में स्थापित किया।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के प्रधान सलाहकार और पंजाब क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बिंद्रा ने सोमवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा, “1984 में एन. के. पी. के नेतृत्व में हम दक्षिण एशिया के क्रिकेट प्रशंसकों के लिए विश्व कप इंग्लैंड से बाहर लाने में सफल रहे और 1987 में रिलांयस कप का बेहद सफल आयोजन किया।” बिंद्रा ने कहा, “हम विश्व क्रिकेट में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का दबदबा खत्म करने में सफल रहे और आईसीसी को लोकतांत्रिक और एक वास्तविक खेल प्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया।”

बिंद्रा ने कहा कि उन्हें अच्छी तरह याद है जब डालमिया और उन्होंने राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता दूरदर्शन से सीधे प्रसारण के अधिकार हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। बाद में उनका यह कदम भारत में प्रसारण उद्योग के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ। पिछले वर्ष क्रिकेट को पूरी तरह अलविदा कह चुके बिंद्रा ने कहा कि 1996 में विश्व कप के सफल आयोजन के बाद भारत की स्थिति वैश्विक बाजार में काफी मजबूत हुई, जो सिर्फ डालमिया की ‘जुनून, ऊर्जा और प्रतिबद्धता’ से संभव हो सका। बिंद्रा ने कहा, “वह बेहद कुशल खेल प्रशासक थे और लाखों क्रिकेट प्रेमियों के साथ मैं उनकी कटिबद्धता और खेल के प्रति समर्पण के लिए उन्हें सलाम करता हूं।”

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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