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यूपी पंचायत चुनाव : कई मंत्रियों के रिश्तेदार उम्मीदवार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव में अखिलेश सरकार के कई मंत्रियों के रिश्तेदार किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं जो इसी चुनाव के जरिए सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं।
जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव में विशिष्ट व्यक्तियों का झुकाव बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है सदस्यों द्वारा ही जिला पंचायत अध्यक्ष तथा क्षेत्र प्रमुख (ब्लॉक प्रमुख) चुना जाना है। विशिष्ट व्यक्तियों की नजर इन दोनों पदों पर है। ब्लॉक प्रमुख बनने के लिए क्षेत्र पंचायत सदस्य चुना जाना जरूरी है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने के लिए इस पंचायत के सदस्य पद का चुनाव जीतना जरूरी है। जिला और क्षेत्र पंचायतों में कई करोड़ रुपये का बजट प्रतिवर्ष आता है।
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कुनबे के सक्रिय राजनीति के लिए सदस्य के रूप में अभिषेक यादव आ रहे हैं। वह इटावा जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राम पाल के पुत्र अभिषेक जसवंतनगर विकास खंड की एक सीट से चुनाव मैदान में हैं। समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद के दोनों पुत्र अजीत प्रसाद और अमित प्रसाद फैजाबाद जिला पंचायत सदस्य के लिए मिल्कीपुर क्षेत्र से दो अलग-अलग सीटों से चुनाव मैदान में हैं।
माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली परिवार के चार सदस्य जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं। अली की पत्नी शकीना बेगम, पुत्र परवेज अली, भतीजा नवाजिश अली और भाई की पत्नी फातिमा अली चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में यदि जीतते हैं तो इन्हीं में से कोई जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पारसनाथ यादव के पुत्र और पत्नी जौनपुर से पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। मंत्री के पुत्र ओम यादव, वेद यादव और पप्पी यादव जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में हैं, जबकि उनकी पत्नी हीरावती यादव क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। सूबे के पशुधन विकास मंत्री राजकिशोर सिंह के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ शानू बस्ती जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं।
बाराबंकी जिला पंचायत सदस्य के लिए ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरविंद सिंह गोप ने अपने बडे भाई अशोक कुमार सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। पत्रकार जगेंद्र सिंह की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में सुर्खियों में रहे पिछड़ा कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा की रिश्तेदार अर्चना वर्मा शाहजहांपुर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं।
परिवहन मंत्री दुर्गा यादव के भतीजे प्रमोद यादव आजमगढ़ तो श्रममंत्री शाहिद मंजूर के पुत्र नवाजिश मंजूर मेरठ की जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में हैं। राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल के भाई और स्वास्थ्य राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल के चाचा मुकेश अग्रवाल हरदोई की जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं।
विज्ञान और तकनीकी मंत्री मनोज पाण्डेय के रिश्तेदार आशीष त्रिपाठी और भाई अनुराग पाण्डेय की पत्नी नीलम रायबरेली में क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए संघर्षरत हैं। पंचायती राजमंत्री कैलाश यादव के बेटे वीरेंद्र यादव गाजीपुर जिला पंचायत के सदस्य पद का चुनाव लड़ रहे हैं। गोंडा में जिला पंचायत सदस्य के लिए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह की पत्नी विजय लक्ष्मी सिंह और एक अन्य माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह के भाई मुकेश सिंह की पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा कई विधायक के परिजन भी इस महत्वपूर्ण चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
विधान परिषद सदस्य और राज्य महिला कल्याण निगम की अध्यक्ष लीलावती कुशवाहा की बेटी अंकिता कुशवाहा फैजाबाद जिला पंचायत तो बीकापुर विधानसभा सीट से विधायक रहे और हाल ही में दिवंगत हुए मित्रसेन यादव की बेटी और दोनों पुत्र वधुएं भी चुनाव लड़ रही हैं, जबकि विधायक रामचंद्र यादव के भाई की पत्नी फैजाबाद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। प्रथम चरण का मतदान नौ अक्टूबर को होगा, जबकि दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का मतदान क्रमश 13, 17 और 29 अक्टूबर को होगा। मतगणना एक नवंबर को तय है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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