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मुख्य समाचार

दादरी कांड पर राष्ट्रपति का कड़ा बयान, कहा- देश के संस्कार खत्म होने नहीं दे सकते

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नई दिल्ली। यूपी के दादरी कांड पर मचे सियासी बवाल के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से कड़ा बयान आया है। राष्ट्रपति ने कहा है कि हम देश के संस्कार खत्म होने नहीं दे सकते। हालांकि उन्होंने किसी भी घटना विशेष का कोई जिक्र नहीं किया है।

राष्ट्रपति मुखर्जी ने यह कड़ी टिप्पणी एक कार्यक्रम के दौरान की। उन्होंने कहा कि हमें मिलजुल कर रहने, सहनशीलता और सांस्कृतिक विविधता को दिमाग में रखना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोहत्या की अफवाह फैलने के बाद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद से सियासी बयानबाजी का दौर चरम पर है। इस घटना को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में इस घटना के संदर्भ में अब राष्ट्रपति के बयान के बाद उन पर उंगलियां उठना तय माना जा रहा है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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