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नेशनल

35 हजार टन से अधिक दालें जब्त

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नई दिल्ली। राज्य सरकारों ने दालों की जमाखोरी के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। विभिन्न राज्यों में अब तक 35 हजार टन से अधिक दालें जब्त की गई हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय से यहां जारी एक बयान के अनुसार, केन्द्र सरकार हाल ही में राज्यों को आवश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार कर उन्हें दालों के भंडारण की सीमा तय करने का अधिकार दे दिया था। इसके तहत निर्यातकों और आयातकों, बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां और बड़े विभागीय खुदरा विक्रेताओं के लिए दालों की भंडारण सीमा तय कर दी थी।

बयान में कहा गया है कि राज्य सरकारों को आकस्मिक निरीक्षण और छापे मारने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बयान के अनुसार, हरियाणा में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एमडी और हेडैड को दालों की खरीद और अपनी दुकानों के माध्यम से इसे बेचने के लिए निर्देशित किया गया है। बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड में, देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर में मंडी समितियों द्वारा खुदरा काउंटर खोले गए हैं, जहां अरहर दाल 145 रुपए प्रति किलोग्राम बेची जा रही है। सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से तय की गई कीमतों पर दालें बेचें।

बयान के अनुसार, दिल्ली में अरहर दाल 120 रुपए प्रति किलोग्राम सफल और केंद्रीय भंडार की दुकानों के माध्यम से बेची जा रही है। तमिलनाडु सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, उड़द की दाल 30 रुपए प्रति किलोग्राम राज्य की सरकारी दुकानों में बेची जा रही है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में काला चना 50 रुपए प्रति किलोग्राम सरकारी दुकानों में बेचा जा रहा है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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