प्रादेशिक
विवादित डीआईजी की दो रेंज पर ताजपोशी की तैयारी
राकेश यादव
-विभाग में अफसर कम होने के बावजूद शासन ने बना दी जेल की तीन नई रेंज
-एक डीआईजी देखेंगे दो रेंज का कार्यभार
लखनऊ। दागदार डीआईजी की ताजपोशी की लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। तमाम विवादों के बाद वरिष्ठ अधीक्षक से डीआईजी के पद पर प्रोन्नत हुए इस अफसर पर शासन मेहरबान है। हाल ही में शासन ने प्रदेश की कारागार के तीन नए परिक्षेत्र (रेंज) बनाए हैं। फैजाबाद, वाराणसी, और कानपुर में स्थापित की गई तीन नई रेंजों में अफसरों की तैनाती की कवायद में शासन इन दिनों जुटा हुआ है। विभाग में डीआईजी की संख्या कम होने और रेंज अधिक होने की वजह से एक अधिकारी को दो रेंज की जिम्मेदारी दी जा रही है। इसके तहत विवादों से घिरे प्रोन्नत डीआईजी को गोरखपुर और फैजाबाद की जिम्मेदारी सौंपे जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यह मामला विभागीय अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रदेश में वर्तमान समय में 72 जेल हैं। इसमें 58 जिला कारागार और छह केंद्रीय कारागार हैं। जिला जेल में विचाराधीन बंदियों और केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदियों को रखा जाता है। जेलों में प्रशासनिक जिम्मेदारी वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षक के जिम्मे होती है। इन अफसरों पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी परिक्षेत्र के डीआईजी जेल की होती है। जेलों की प्रशासनिक व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए वर्तमान समय में प्रदेश में कारागार विभाग में सात रेंज स्थापित की गई हैं।
लखनऊ परिक्षेत्र को हाल ही में शासन ने दो भागों में बांट दिया। एक परिक्षेत्र में राजधानी की जिला जेल समेत चार अन्य जेलों को शामिल किया गया है। वहीं आदर्श कारागार समेत करीब आधा दर्जन जेलों को दूसरी रेंज में रखा गया है। एक रेंज का प्रभार विभाग के डीआईजी शरद कुलश्रेष्ठ के पास है तो दूसरी रेंज का प्रभार पुलिस विभाग के डीआईजी राजेश्वर सिंह के पास है। इसी प्रकार गोरखपुर परिक्षेत्र का प्रभार विभाग के डीआईजी आरपी सिंह और इलाहाबाद परिक्षेत्र का प्रभार विभागीय डीआईजी संतोष श्रीवास्तव के पास है। बरेली परिक्षेत्र का जिम्मेदारी शशि श्रीवास्तव मेरठ के हाथों में है।
इसी क्रम में आगरा परिक्षेत्र का जिम्मा डीआईजी केदारनाथ के पास है। दो परिक्षेत्रों में विभाजित की गई मेरठ रेंज के एक परिक्षेत्र में कोई भी अधिकारी तैनात नहीं है वहीं दूसरी रेंज में कमान पुलिस विभाग के डीआईजी रघुवीर लाल के हाथों में है। सूत्रों का कहना है कि मेरठ परिक्षेत्र की एक रेंज अधिकारी विहीन होने के बावजूद शासन ने पिछले दिनों कानपुर, वाराणसी और फैजाबाद तीन नई रेंज बनाई हैं। इन दिनों नई रेंजों मे अफसरों की तैनाती की प्रक्रिया चल रही है।
सूत्रों का कहना है कि नई रेंजों में तैनाती को लेकर पुरानी रेंजों मे तैनात डीआईजी के कार्यक्षेत्र बदलाव किए जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। जानकारों का कहना है कि जेल मुख्यालय और लखनऊ परिक्षेत्र का प्रभार देख रहे शरद कुलश्रेष्ठ को आगरा कारागार मुख्यालय में अटैच, विवादित डीआईजी यादेवेन्द्र शुक्ला को गोरखपुर एवं फैजाबाद, गोरखपुर के डीआईजी आरपी सिंह को लखनऊ एवं कानपुर परिक्षेत्र और बरेली परिक्षेत्र की डीआईजी शशि श्रीवास्तव को बरेली के अतिरिक्त मेरठ परिक्षेत्र की अतिरिक्त प्रभार दिए जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। उधर प्रमुख सचिव कारागार राजेन्द्र कुमार तिवारी से काफी प्रयासों के बाद भी सम्पर्क नहीं हो सका।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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