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मुख्य समाचार

पंचायत-पालिका चुनाव में सपा पस्त

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उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए हुआ चुनाव सूबे की समाजवादी सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। यूपी में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों में सत्ताधारी दल को जिस तरह मतदाताओं ने नकार दिया, उसके घाव काफी गहरे लगे हैं। कई मंत्रियों व दिग्गोजों को अपने ही क्षेत्रों में मुंह की खानी पड़ी है। करीब दो दर्जन मंत्रियों ने अपने परिवारीजनों को चुनाव मैदान में उतारा था। अधिकतर विधायकों, मंत्रियों ने बीडीसी सदस्यों के लिए निर्विरोध निर्वाचन करा लिया, लेकिन जिला पंचायत में उन्हें विरोधियों ने धूल चटा दी।

पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने मंत्रियों, पदाधिकारियों और जान पहचान वालों को बड़े पैमाने पर टिकट दिया था, लेकिन इनमें से ज्यादातर को हार का सामना करना पड़ा। अमरोहा सपा जिलाध्यक्ष विजय पाल सैनी की पत्नी चुनाव हार गईं। संभल के असमौली से सपा विधायक पिंकी यादव के पति भी चुनाव हार गए। संभल से सपा जिलाध्यक्ष फिरोज खां की पत्नी चुनाव हार गईं। संभल के सांसद सत्यपाल सैनी की चाची को भी शिकस्त झेलनी पड़ी। उन्हें बसपा के राज्यसभा सांसद की पत्नी ने हरा दिया।

कानपुर के चौबेपुर ब्लॉक से सपा विधायक मुनीन्द्र शुक्ला के भाई को अपने ही गांव से बीडीसी का चुनाव हार गए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा में कैबिनेट मंत्री महबूब अली की भाभी भी हार गईं। और तो और कैबिनेट मंत्री मनोज पाण्डेय के भाई अमिताभ पाण्डेय चुनाव हार गए। परिवार कल्याण राज्यमंत्री शंखलाल मांझी की पत्नी अंजनी मांझी भी हार गईं। मेरठ में मौजूदा जिलाध्यक्ष मनिन्दर पाल और उनकी पत्नी सिंपल भी चुनाव हार गए। बलरामपुर-जंतु उद्यान मंत्री शिव प्रताप यादव की पत्नी,बेटे,बहू तीनों को हार का सामना करना पड़ा।

राज्यमंत्री सुरेंद्र पटेल के भाई सपा विधायक महेंद्र पटेल की पत्नी एवं पूर्व ब्लॉक प्रमुख शकुंतला देवी चुनाव हार गईं। वहीं मैनपुरी में बेवर ब्लॉक के वार्ड नंबर 128 से बीडीसी का चुनाव लड़ने वाले दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री तोताराम यादव को तो शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। उन्हें सिर्फ 28 वोट मिले। ये वही तोता राम हैं जिनका दूसरे फेज की वोटिंग के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह बूथ कैप्चरिंग करते हुए दिख रहे थे। मामला सामने आने के बाद तोताराम सहित 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज हो गई थी।

नतीजों से साफ है कि समाजवादी पार्टी के जनाधार को गहरी चोट पहुंची है और उसे विधानसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरने के लिए फिर से मंथन करना होगा। चुनाव के मद्देनजर हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन किया। इसमें 12 नए चेहरों को टीम में जगह मिली तो नौ राज्यमंत्रियों को प्रमोशन दिया गया। इस फेरबदल में भी न तो मंत्रियों के प्रदर्शन को आधार बनाया गया और न ही सरकार की छवि की चिंता की गई। इस रणनीति का ही खामियाजा पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ा है। ये भी समझना होगा कि जातीय समीकरणों को साधने और सिर्फ चेहरा बदलने की कवायद से जनता इत्तेफाक नहीं रखती। अभी विधानसभा चुनाव में काफी समय बाकी है और सपा को अपनी रणनीति पर फिर से मंथन करना होगा।

नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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