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बिजनेस

गिफ्ट कार्ड : उपहार वही जो सबके मन भाए

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नई दिल्ली। उपहार तब बेहद खास बन जाता है, जब वह देने वाले के साथ ही लेने वाले की पसंद भी बन जाए। आपने सबसे अच्छा उपहार चुनने में अपना कितना भी समय और पैसा क्यों न खर्च किया हो, वह लेने वाले की जरूरत और पसंद का न हो तो आपके बेहद प्यार से दिए कीमती उपहार की कोई कीमत नहीं रह जाती।

‘जर्नल ऑफ एक्सेपेरिमेंटल साइकोलॉजी’ में प्रकाशित एक शोध भी इसी ओर इशारा करता है। शोध के मुताबिक, बेहद सोच-समझ कर दिया गया उपहार भी लेने वाले का पसंदीदा निकले यह कोई जरूरी नहीं। इसी तरह जर्नल ऑफ एक्सेपेरिमेंटल सोशल साइकोलोजी में प्रकाशित एक अन्य शोध भी यही कहता है। इस शोध के मुताबिक, उपहार के पीछे की सोच उतनी मायने नहीं रखती, बल्कि खुद उपहार ज्यादा मायने रखता है।

आप भी अपना कीमती समय और पैसा खर्च करके कोई ऐसा उपहार हरगिज नहीं देना चाहेंगे, जो पसंद न आने पर रीपैक करके आगे बढ़ा दिया जाए तो आखिर उपहार में क्या दें? परेशान न हों, क्योंकि आज के स्मार्ट दौर में गिफ्टिंग भी स्मार्ट हो गई है। आपकी इस दुविधा का बेहतरीन उपाय है, गिफ्ट कार्ड। ये प्री-पेड कार्ड होते हैं, जो डेबिट कार्ड की तरह काम करते हैं।

आप अगर उपहार में गिफ्ट कार्ड देते हैं तो लेने वाला इसके जरिए अपने मन मुताबिक किसी भी पसंदीदा चीज की खरीदारी कर सकता है। गिफ्ट कार्ड के कई फायदे हैं। स्टोर वाउचर्स की तुलना में ये ज्यादा फायदेमंद हैं। वाउचर को केवल एक बार में ही इस्तेमाल करना जरूरी होता है, जिसमें आपको पूरी राशि खर्च करनी होती है, लेकिन अगर आप गिफ्ट कार्ड उपहार में देते हैं तो इससे मनचाही चीज तो खरीदी जा ही सकती है, साथ ही इसे एक बार में इस्तेमाल न करके चाहें तो कई बार में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि अधिकांश गिफ्ट कार्ड की अवधि एक साल की होती है।

गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं। आप चाहें तो ओपन लूप कार्ड खरीद सकते हैं जो बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। बैंक करीब सौ रुपये का शुल्क लेकर ये कार्ड जारी करते हैं, जिसे आप ऑनलाइन या सीधे बैंक से खरीद सकते हैं। बैंक गिफ्ट कार्ड में आप 500 रुपये से लेकर 50,000 तक जितनी चाहे उतनी राशि डलवा सकते हैं। एचडीएफसी बैंक रोहिणी ब्रांच की मैनेजर पायल अग्रवाल बताती हैं, “बैंक गिफ्ट कार्ड का फायदा यह है कि इन्हें इस्तेमाल करने के लिए किसी खास स्टोर से खरीदारी की बाध्यता नहीं होती। इनसे किसी भी स्टोर पर खरीदारी की जा सकती है।”

बैंक गिफ्ट कार्ड में पिन नंबर होता है, जिसका इस्तेमाल करके विभिन्न आउटलेट से या ऑनलाइन सुरक्षित खरीदारी की जा सकती है। इस पिन नंबर के जरिए कार्ड का बैलेंस और ट्रांसेक्शन विवरण भी पता किया जा सकता है।

दूसरा विकल्प हैं ऐसे कार्ड जो आप किसी विशिष्ट आउटलेट से खरीद सकते हैं। इनसे किसी खास ब्रांड या रिटेल चेन से ही खरीदारी की जा सकती है। जैसे कि टाइटन, तनिश्क, लाइफस्टाइल, कैफे कॉफी डे, क्रोमा, वेस्टसाइड या फास्ट ट्रैक जैसी कंपनियों द्वारा जारी किया गया कार्ड। यह गिफ्ट कार्ड आपको इन्हीं स्टोर से ही खरीदारी का विकल्प देगा।

इस तरह के गिफ्ट कार्ड से खरीदारी करने पर कई आउटलेट सामान पर पांच से 10 प्रतिशत की छूट भी देते हैं। साथ ही इनसे खरीदारी करने पर उपभोक्ता को रिवॉर्ड प्वॉइंट भी मिलते हैं। निश्चित संख्या में इन प्वॉइटं्स को इकटठा करने पर आपको खरीदारी में रिटेल कंपनी की तरफ से छूट भी मिलती है।

गिफ्ट कार्ड की बढ़ती लेकप्रियता को देखते हुए अब कई वेबसाइट भी इस मैदान में उतर आई हैं। इनसे कई तरह के गिफ्ट कार्ड खरीदे जा सकते हैं। इनसे आप होम डेकोर, कपड़े, घड़ियां व अन्य एक्सेसरीज आदि के गिफ्ट कार्ड भी खरीद सकते हैं। ऐसी कुछ बेवसाइट हैं : गिफ्टकार्डसइंडिया डॉट इन, गिफ्टकार्डबिग डॉट कॉम और इंडियाप्लाजा डॉट कॉम।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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