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नमन को इंसाफ दिलाने की मुहिम ने सोशल मीडिया पर पकड़ा जोर

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लखनऊ। हरदिल अजीज, खुशमिजाज, जिंदगी को हर पल जीने वाला राजधानी निवासी नमन वर्मा अब हमारे बीच नहीं है लेकिन उसकी संदेहास्पद मौत परिजनों को गहरा आघात दे गई है। 24 साल के नमन की मौत से उपजे सवाल घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद हर व्यक्ति की जुबान पर हैं। ये सवाल जेहन में फांस की तरह चुभ रहे हैं। वैसे भी नमन की हत्या पर पर्दा डालने में गोमतीनगर पुलिस ने कोई कोरकसर बाकी नहीं रखी है। वारदात के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचते ही जो खेल शुरू किया था वह अब भी बदस्तूर जारी है। इन हालात में नमन को इंसाफ दिलाने का बीड़ा उसके दोस्तों ने उठाया है। नमन के दोस्तों ने सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस फॉर नमन वर्मा’ नाम से एक पेज बनाया है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस मुहिम में शामिल होने के लिए लोगों से अपील की है। वे चाहते हैं कि नमन को इंसाफ मिले और उसकी मौत से जुड़े हर राज से पर्दा उठाया जाए।

 

18 नवंबर की रात होटल कर्मचारी नमन वर्मा के मर्डर केस को एक्सीडेंट बताकर राजधानी पुलिस ने अपनी कार्यशैली का नमूना पेश कर दिया। लखनऊ के सबसे पॉश इलाके में हुई इस जघन्य वारदात को पुलिस पहले एक सुसाइड की घटना बताती रही लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उसका हर झूठ तार-तार हो गया। रिपोर्ट से पता चला कि नमन को दो गोलियां मारी गईं। नमन की बाइक भी अब तक गायब है। जिस जगह से नमन का मृत शरीर मिला वहां वह पहुंचा कैसे जबकि अपने कार्यस्थाल रेनेसां होटल से वह अपनी पल्सृर बाइक पर बैठकर निकला था। नमन के खून के निशान पुल के ऊपर मिले और बॉडी पुल के नीचे, ये कैसे संभव है? मौका-ए-वारदात पर देखी गई बाराबंकी के नम्बर वाली क्रीम कलर की इनोवा गाड़ी का भी कोई सुराग नहीं लग सका है। इस गाड़ी में एक बड़े राजनीतिक दल का झंडा लगा हुआ था।

 

हत्याकांड से जुड़े कई सवालों में पुलिस अब तक एक का भी जवाब नहीं ढूंढ पाई है। पुलिस की इसी ढिलाई को देखते हुए नमन के दोस्तों ने उसे इंसाफ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई है। ‘जस्टिस फॉर नमन वर्मा’ नाम से इस मुहिम में नमन के साथ होटल मैनेजमेंट करने वाले छात्र, होटलकर्मी और बचपन के दोस्त शामिल हैं। उसके दोस्तों ने नमन के साथ हुई घटना के बारे में जानकारी देने की अपील की है। साथ ही राजनीतिक दल का झंडा लगी कार के बारे में भी जानकारी साझा करने को कहा है।

 

नमन के मामा राजू वर्मा का भी कहना है कि इस मामले में पुलिस ने निहायत ही ढीलाढाला रवैया अख्तियार कर रखा है। उसने 48 घंटे में सारा सच सामने लाने का दावा किया था जिसमें से 24 घंटे बीत चुके हैं लेकिन ऐसा कोई भी सुराग नहीं मिला। न बाइक मिली और न ही इनोवा गाड़ी। अगर आगे भी यही हाल रहा तो हम सड़कों पर उतरेंगे और नमन के लिए इंसाफ मांगेंगे। एक अन्य परिजन मुनीश ने कहा कि नमन के दोस्तों ने फेसबुक पेज बना कर मुहिम चलाई है। उनका साफ कहना है कि अगर पुलिस ने इस केस को लेकर अपना रवैया नहीं बदला तो फेसबुक की ये मुहिम सड़कों पर आंदोलन का रूप लेगी।

 

इन बातों से एक बात तो साफ है कि नमन को इंसाफ दिलाने की आवाज बहुत दूर तक जाएगी और ये तब तक नहीं रुकेगी जब तक नमन के परिजनों और उससे जुड़े हर व्यक्ति इंसाफ नहीं मिल जाएगा। राजधानी लखनऊ में ऐन सरकार की नाक के नीचे का पुलिसिया ढर्रे का सच सबके सामने है। ऐसे में अन्य जिलों का कानून-व्यवस्था का अंदाजा आसानी से लगा जा सकता है।

 

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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