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पठानकोट हमले में क्‍या सुरक्षा एजेंसियों से चूक हुई?

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छिपे हुए आतंकियों को मार गिराने का अभियान जारी, वायुसेना के अड्डे, शनिवार को हुए हमले के तीसरे दिन

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पाकिस्‍तान की ओर से पठानकोट हमले के रूप में एक और घाव मिला है। सच्‍चाई तो यह है कि आप इतिहास बदल सकते हैं भूगोल नहीं और भूगोल यह है कि पाकिस्‍तान के रूप में हमें एक ऐसा पड़ोसी मिला है जो अपने जन्‍म से ही भारत को पीड़ा देता आया है लेकिन इस बार के हमले में कुछ बातें खास गौर करने लायक हैं। इन्‍ही खास बातों पर ध्‍यान देने से यह लगता है कि यह हमला कहीं न कहीं हमारी सुरक्षा एजेंसियों की चूक है।

पहला सवाल कि जब पठानकोट में एक एसपी का अपहरण हुआ और बाद में एसपी व उनके साथियों को गाड़ी से उतारने के बाद आतंकी एयरबेस की तरफ बढ़े तो सुरक्षा एजेंसियां चौकन्‍नी क्‍यों नहीं हुई? क्‍योंकि हमला इस अपहरण की घटना के 24 घंटे बाद हुआ और 24 घंटे का समय कम नहीं होता।

दूसरा सवाल जब आतंकियों द्वारा नीली बत्‍ती लगी एसपी की गाड़ी का उपयोग करने की बात सामने आ चुकी थी तो यह मैसेज प्रसारित क्‍यों नहीं हुआ कि उक्‍त गाड़ी संदिग्‍ध लोगों के हाथ में है।

तीसरा सवाल जहां से अगवा एसपी को छोड़कर आतंकी उनकी गाड़ी द्वारा एयरबेस की ओर बढ़े वहां से एयरबेस तक सात चेंकिंग प्‍वांइट हैं उन सभी प्‍वाइंट्स को अलर्ट कर गाड़ी को रोकने का प्रयास क्‍यों नही किया गया?

चौथा सवाल जब गाड़ी में बैठे लोगों ने पुलिस को यह बता दिया कि एसपी के मोबाइल से अपहरणकर्ताओं ने पाकिस्‍तान में बैठे आतंकी हैंडलरों से बात की है तब सुरक्षा एजेंसियों के सामने उन्‍हें आतंकी मानने में क्‍या संशय था? क्‍या उनके कान इसी बात से नहीं खड़े हो जाने चाहिए थे कि यह कोई सामान्‍य अपहरण कांड नहीं है?

पांचवां सवाल जब अपहरण कांड के बाद यह इनपुट भी मिल गया कि कोई न कोई आतंकी घटना हो सकती है और इसी के आधार पर एयरबेस में एनएसजी के कमांडो और वायुसेना की गरूड़ फोर्स तैनात कर दी गई तो सर्च अभियान में सफलता क्‍यों नहीं मिली? क्‍या सर्च अभियान को हल्‍के में लिया गया?

सवाल और भी हैं लेकिन जवाब में हमें अपने जवानों की शहीदी ही मिली है। लेफ्टिनेंट कर्नल सहित देश ने अपने 11 सपूत खोए हैं। आखिर इसका जिम्‍मेदार कौन है? क्‍या सुरक्षा एजेंसियों के आपसी समन्‍यव में कमी इसकी जिम्‍मेदार है? अथवा निर्णय लेने में देरी से यह दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना हुई है। जवाबदेही तय होनी चाहिए। जहां तक पाकिस्‍तान से बातचीत का सवाल है तो जब तक पाकिस्‍तान की ओर से कुछ ऐसा निर्णय आतंकियों के खिलाफ न लिया जाय बातचीत का कोई मतलब नहीं बनता है। वैसे पाकिस्‍तान की सरकार एक कमजोर सरकार है जिनका वहां की सेना और आईएसआई पर कोई नियंत्रण नहीं है बावजूद इसके उनकी तरफ से कोई न कोई सार्थक पहल तो अवश्‍य होनी चाहिए तब तक बातचीत के दरवाजे बंद।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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