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प्रादेशिक

छत्तीसगढ़ : 122 ग्रामों का रिकार्ड तैयार करने कोरबा पहुंचे ‘रूड़की’ के विशेषज्ञ

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रायपुर। राष्ट्रीय भू-अभिलेख अद्यतीकरण कार्यक्रम (एनएलआरएमपी) के अंतर्गत जिले के चिन्हित मसाहती ग्रामों का रिकार्ड तैयार करने आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञों का दल कोरबा पहुंचा है। एनएलआरएमपी के तहत जिले में लगभग 122 अनसर्वेड ग्रामों के भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया जाना है।

विशेषज्ञों द्वारा जीआईएस, जीपीएस की सहायता से पटवारी एवं जमीन मालिक के सत्यापन के पश्चात भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। भू-रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण होने से जमीन के रिकार्ड रखने में पारदर्शिता आएगी। भविष्य में कम्प्यूटर पर क्लिक करते ही सड़क, नहर आदि निर्माण के लिए भूमि के वास्तविकता की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। आने वाले समय में जमीन के मालिक भी घर बैठे अपनी जमीन की स्थिति देख पाएंगे।

आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डॉ. कमल जैन एवं उनके दल के सदस्यों द्वारा जिले के सभी राजस्व अधिकारियों, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारियों को जीआईएस एवं जीपीएस की सहायता से कम्प्यूटरीकरण किए जाने की पद्धति को फील्ड पर बताया गया।

पहले दिन डेमों के रूप में ग्राम ढेंगुरडीह में जिले के सभी राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों, पटवारियों को फील्ड पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के विषय में बताया गया।

कलेक्टर पी. दयानंद ने भी ग्राम ढेंगरडीह में चल रहे डेमों का अवलोकन किया। उन्होंने जीआईएस पद्धति से इमेज के ऊपर किए जा रहे बाउण्ड्री मार्क की जानकारी ली। आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डा. कमल जैन ने बताया कि भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण प्रक्रिया में उच्च रेज्यूलेशन सेटेलाईट इमेज का इस्तेमाल कर फील्ड पर इमेज के ऊपर बाउंड्री मार्क किया जाता है।

कार्यस्थल पर ही जमीन के मालिक एवं पटवारी की उपस्थिति में सत्यापित कर लिया जाता है। सत्यापन के पश्चात पटवारी एवं जमीन मालिक की फोटो सिस्टम में दर्ज कर रिकार्ड को सर्वर में दर्ज किया जाता है। दर्ज रिकार्ड को विभाग द्वारा अवलोकन किया जा सकता है।

प्रोफेसर डा. जैन ने जमीन का रिकार्ड अपडेट रहने एवं कम्प्यूटरीकृत होने से शासन के साथ लोगों को भी इसका लाभ मिलने की बात कही। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से जमीन का रिकार्ड रखने में पारदर्शिता तथा सीमांकन आदि के समय आपसी विवाद की स्थिति पर अंकुश लगेगी।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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