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बिजनेस

सब्सक्राइबर्स को बोनस दे सकता है ईपीएफओ

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सब्सक्राइबर्स को 750 करोड़ रुपये का बोनस, ईपीएफओ, इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की बजाय बोनस, एम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन

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नई दिल्ली। ईपीएफओ साल 2015-16 के लिए इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की बजाय अपने सब्सक्राइबर्स को 750 करोड़ रुपये का बोनस देने पर विचार कर रहा है। यह अपनी तरह का ऐसा पहला कदम होगा। इससे पहले एम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन ने मौजूदा फिस्कल इयर के लिए ब्याज दर बढ़ाकर 8.95% करने का प्रस्ताव किया था। यह प्रस्ताव इस साल के दौरान सरप्लस अर्निंग होने के अनुमान पर किया गया था। साल 2013-14 और 2014-15 के लिए ब्याज दर 8.75% थी। ब्याज दर बढ़ाने के प्रस्ताव पर हालांकि फाइनैंस मिनिस्ट्री ने ऐतराज जताया था। उसका कहना था कि ऐसा होने पर दूसरी स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दर भी बढ़ाने का दबाव बनेगा और भविष्य में इसे जारी रखना संभव नहीं होगा। इसे देखते हुए ईपीएफओ अपने मेंबर्स को वन-टाइम बोनस पेमेंट पर विचार कर रहा है। प्रस्ताव की जानकारी रखने वाले एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशल ने ईटी को बताया, ‘हम बोनस के विकल्प पर पहली बार विचार कर रहे हैं क्योंकि इससे लो-इनकम ब्रैकेट वालों को अच्छा फायदा होगा, जिन्हें पीएफ के तहत डिडक्शंस के लिए यूं भी इनकम टैक्स में छूट नहीं मिलती है।’

हालांकि बोनस उन्हीं सब्सक्राइबर्स को मिलेगा जिन्होंने लगातार 12 महीनों तक योगदान किया है। ईपीएफओ के इंटरनल एस्टिमेट के अनुसार अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो इसके 5 करोड़ सब्सक्राइबर्स में से लगभग 2.5 करोड़ लोगों को इस साल बोनस मिल सकता है। अधिकारी के अनुसार एक तरह से ईपीएफओ अपने सब्सक्राइबर्स के लिए डिफरेंशल इंटरेस्ट रेट शुरू कर रहा है, जिसके तहत लो-इनकम वाले लोगों को मौजूदा फिस्कल इयर में उनके डिपॉजिट्स पर डबल डिजिट इंटरेस्ट रेट लगेगा। ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की 16 फरवरी को बैठक होगी। इसमें सरकार, कर्मचारियों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधि होते हैं। इस बैठक में ब्याज दर बढ़ाने और बोनस देने के दोनों प्रस्तावों पर चर्चा होगी और अंतिम निर्णय किया जाएगा। हालांकि डिफरेंशल इंटरेस्ट रेट के प्रस्ताव का ट्रेड यूनियंस विरोध कर सकती हैं। आरएसएस से जुड़े बीएमएस के बृजेश उपाध्याय ने कहा, ‘हमें यह आइडिया पसंद नहीं है क्योंकि इससे कुछ ही लोगों को फायदा होगा। बोनस तो सभी एम्प्लॉयीज के योगदान से हुई सरप्लस इनकम से ही दिया जाएगा, लिहाजा यह सभी को मिलना चाहिए।’

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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