उत्तराखंड
आसान नहीं है चारधाम की राहें
देहरादून। भले ही चारधाम यात्रा के शुरू होने में अब महज दस दिन ही बचे हुए हैं, लेकिन अब भी यात्रा मार्गों पर कई स्थानों पर बदहाल हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग कई स्थानों पर संवेदनशील बना हुआ है तो केदारनाथ और बदरीनाथ राजमार्गों पर भी कई डेंजर जोन हैं। हालांकि एनएच, लोनिवि और सीमा सड़क संगठन का दावा है कि यात्रा मार्गों को सुचारु बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं और इसमें कोई व्यवधान नहीं आएगा।
घनसाली-केदारनाथ मार्ग बदहाल
घनसाली-केदारनाथ मोटर मार्ग पर जगह -जगह मलबा और पत्थर पड़े होने से सड़क संकरी हो गई है, जिससे मार्ग पर वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है। एडीबी और प्रशासन इससे बेखबर है। इन दिनों प्रशासन चार धाम यात्रा मार्गों को चाक चैबंद करने के दावे कर रहा है, लेकिन केदारनाथ मार्ग की दशा जस की तस बनी है। चारधाम यात्रा को जोड़ने वाला घनसाली-केदारनाथ मोटर मार्ग 29 किमी चिरबटिया तक के डामरीकरण और सुधारीकरण का कार्य तीन वर्षों से एडीबी के पास है, लेकिन विभाग अभी तक मोटरमार्ग का कार्य पूरा नहीं कर पाया है।
मार्ग की मरम्मत के दौरान सड़क किनारे से निकाले गए पत्थर और मिट्टी को विभाग तीन साल से नहीं हटा पाया है, जिससे यात्रा मार्ग संकरा बना हुआ है। मोटर मार्ग के बैंडों पर अधिक खतरा होने के कारण कई बार वाहनों के पास देने की स्थिति में टक्कर की अधिक संभावनाएं बनी हुई हैं। एसडीएम देवानंद शर्मा ने बताया कि घनसाली-केदारनाथ मार्ग पर पड़े पत्थरों को तुरंत हटाने के लिए एडीबी को निर्देश दिए हैं। इन दिनों मार्ग पर पत्थर और मलबा हटाने का काम चल रहा है।
सिरोबगड़ साबित हो सकता है नासूर
यात्रा सीजन में केदारनाथ मार्ग पर सबसे अधिक व्यवधान सिरोबगड़ डालता है। सरकार व बीआरओ के पास इस नासूर से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। हालांकि बीआरओ व लोनिवि ने सिरोबगड़ के आसपास के इलाके में जेसीबी व मजदूरों की टीमों की तैनाती की है कि मलबा गिरने की स्थिति में मार्ग जल्द से जल्द सुचारु किया जा सके, इसके बावजूद आशंका बनी हुई है कि यदि बारिश हुई तो सिरोबगड़ में भूस्खलन भी होगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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