उत्तराखंड
शराबियों के उत्पात से वन्यजीव खतरे में
रामनगर। रामनगर वन प्रभाग की अपर कोसी रेंज म स्थित ग्रास लैंड में शराबिया के उत्पात ने वन्यजीवों का जीना दूभर कर दिया है। दिन भर आम यातायात के कारण घने जंगल में छिपे रहने वाले वन्यजीवों को शाम के समय ग्रास लैंड में आने पर शराबिया के उत्पात का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग सुरक्षा गश्त के दावे तो कर रहा है लेकिन यह दावे वास्तविकता से कोसों दूर हैं।
गौरतलब है कि रामनगर वन प्रभाग की अपर कोसी रेंज में सीतावनी क्षेत्र में सैलानियों की आवाजाही पर कोई रोक-टोक नहीं है। सैलानियों को प्रवेश शुल्क देकर वन क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाती है। जबकि स्थानीय निवासियों को इसमें छूट दी जाती है। लेकिन इस छूट का स्थानीय निवासी अनावश्यक लाभ उठाने से नही चूक रहें हैं।
शाम होते ही रामनगर-पाटकोट मार्ग पर स्थित वन्यजीवों के ग्रास लैंड पर शराबियों का कब्जा हो जाता है। रात के अंधेरे में वाहनों की रोशनी सड़क के किनारे वन क्षेत्र में फेंककर वन्यजीवों को तलाश कर उन्हे परेशान करना शराबियों की आदत में शुमार हो चुका है।
स्थानीय लोगों की देखादेखी बाहर से आये सैलानियों के भी हौसले बुलंद हो रहें हैं, जिस कारण सैलानी अपने वाहन सड़क पर छोड़कर जंगल में वन्यजीवों के दीदार करने की नियत से ले जा रहें हैं, जिससे एक ओर वन्यजीवों को खतरा बना हुआ है तो वहीं दूसरी ओर हिंसक वन्यजीवों द्वारा सैलानियांे पर हमले की आशंका बनी रहती है।
हालांकि वन विभाग इस क्षेत्र में लगातार गश्त के दावे तो करता है लेकिन यह दावे पूरी तरह से हवाई हैं। जिसका उदाहरण दो दिन पूर्व तब मिला जब पंजाब से आये कुछ सैलानी युवको ने मुख्य मार्ग से रायफल का निशाना साधकर एक हिरन को मारने का प्रयास किया।
इसकी खबर स्थानीय लोगों द्वारा दिये जाने के बाद भी वन विभाग का काई कारिंदा मौके पर नही पहुंचा। मामले की जानकारी मीडिया में आने के बाद वनकर्मियों ने मौके पर जाकर चार युवकों को पकड़कर उनसे 25 हजार का जुर्माना वसूला था। इस घटना के बाद भी वन विभाग ने कोई सबक न लेते हुये क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के कोई प्रयास नहीं किये जिस कारण अभी भी मौके पर शराबियों का आतंक बरकरार है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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