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उत्तराखंड

चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने हेतु राज्यपाल द्वारा स्थलीय भ्रमण

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चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने की कवायद, राज्यपाल डा. के.के. पाल द्वारा स्थलीय भ्रमण, सोनप्रयाग लिंचोली तथा केदारनाथ क्षेत्र का स्थलीय भ्रमण

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चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने की कवायद, राज्यपाल डा. के.के. पाल द्वारा स्थलीय भ्रमण, सोनप्रयाग लिंचोली तथा केदारनाथ क्षेत्र का स्थलीय भ्रमण

देहरादून। चारधाम यात्रा को निर्बाध, सुरक्षित व सुविधाजनक  बनाये जाने की दृष्टि से राज्यपाल डा. के.के. पाल द्वारा आज रविवार को सोनप्रयाग, लिंचोली तथा केदारनाथ क्षेत्र का स्थलीय भ्रमण कर यात्रा सीजन तथा आपदा प्रबन्धन सम्बन्धी तैयारियों का जायजा लिया गया। सोनप्रयाग में विजिट के दौरान राज्यपाल द्वारा मौके पर मौजूद सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने के साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। उन्होंने सोनप्रयाग में रेगुलर पुलिस स्टेशन की स्थापना की स्वीकृति दी जिसका नोटिफिकेशन 25 अप्रैल, सोमवार को जारी किया जायेगा।

यात्रा सीजन में तीर्थयात्रियों/श्रद्धालुओं को आवश्यकतानुसार तत्काल मेडिकल सहायता पहँुचाने की दृष्टि से सोनप्रयाग में हेलीकाप्टर की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर दी गई है। इस क्षेत्र में अर्ली वार्निंग मेंटिनेंस पैट्रोल सिस्टम भी शुरू होगा जो केदारनाथ यात्रा मार्ग पर तथा झील के आसपास किसी भी प्रकार की आपदा की आशंका के प्रति सचेत करेगा। इसी प्रकार अर्ली वार्निंग अलार्म सिस्टम भी सक्रिय रूप से कार्य करेगा। राज्यपाल द्वारा केदारनाथ क्षेत्र में तीर्थयात्रियों/श्रद्धालुओं के लिए की गई रात्रि विश्राम की सुविधाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करने तथा किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में यात्रियों को आवश्यक सहायता देने के लिए पूरे यात्रा सीजन में गौरीकुण्ड से केदारनाथ तक के 16 किलोमीटर के पैदल यात्रा मार्ग पर  एस.डी.आर.एफ. की पैट्रोलिंग निरन्तर जारी रखने की व्यवस्था के निर्देश भी दिये गये।

रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग के बीच कुछ स्थानों पर चल रहे कार्यों, जिनकी हफ्ते-दस दिन में पूरी होने की सम्भावना है, के पूर्ण होते ही वहाँ पर धरती पर होने वाले किसी भी असामान्य हलचल की सूचना देने वाले संयंत्र (अर्थ मूविंग इक्विपमेंट) स्थापित किये जायेंगे। राज्यपाल ने केदारनाथ पैदल यात्रामार्ग पर ड्रैगन लाईट अथवा लाईट टावर आदि के माध्यम से पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था करने के भी निर्देश दिये हैं यद्यपि इस यात्रा मार्ग पर मार्ग में सायं 6.00 बजे बाद यात्रा प्रतिबन्धित है। राज्यपाल ने लिंचैली में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बैठक करके यात्रा को निर्बाध रूप से सम्पन्न कराने के लिए अनेक सुझाव व निर्देश दिये। उन्होंने इस क्षेत्र में यात्रियों की सुविधा के लिए बनायी गई हट्स आदि की व्यवस्था भी देखी। केदारनाथ क्षेत्र में जून 2013 में आई भीषण प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त आदिशंकराचार्य की समाधि स्थल के जीर्णाेद्धार सम्बन्धी कार्यों के विषय में मन्दिर समिति के लोगों से भी राज्यपाल द्वारा वार्ता की गई।

 

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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