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24 घंटे में तीसरे पत्रकार की हत्या, आरोपों के घेरे में रेत माफिया

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देश में कलम की ताकत को कमजोर करने की मुहिम पुरजोर तरीके से जारी है। 24 घंटे के भीतर तीसरे पत्रकार की हत्या की खबर है। ताजा मामला मध्य प्रदेश के भिंड का है, जहां रेत माफिया और पुलिस के गठजोड़ का स्टिंग ऑपरेशन से खुलासा करने वाले निजी समाचार चैनल के पत्रकार संदीप शर्मा की सोमवार को रेत से भरे ट्रक से कुचलकर मौत हो गई। इससे पहले बिहार के भोजपुर जिले में रविवार रात अपराधियों ने दो पत्रकारों की जीप से रौंदकर हत्या कर दी थी।

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पत्रकार संदीप शर्मा की सोमवार को रेत से भरे ट्रक से कुचलकर मौत हो गई। परिजन सहित अन्य लोग हत्या की आशंका जता रहे हैं। वहीं पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार की सुबह संदीप शर्मा अपने दुपहिया वाहन से घर से सर्किट हाउस की ओर जा रहे थे, तभी पीछे से आ रहे रेत से भरे ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे संदीप जमीन पर गिर गए, उसके बाद चालक वाहन से उन्हें रौंदता हुआ भाग गया। बाद में पुलिस ने ट्रक जब्त कर आरोपी चालक रणवीर को गिरफ्तार कर लिया। संदीप के रिश्तेदार और पत्रकार विकास शर्मा ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस अधीक्षक प्रशांत खरे ने बताया है कि इस घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है, जांच पूरी बारीकी से होगी, जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी के आधार पर कार्रवाई होगी।

पत्रकार संदीप शर्मा

कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर रेत माफिया और पुलिस के गठजोड़ का खुलासा करने वाले पत्रकार शर्मा की ट्रक से कुचलकर हुई मौत को हत्या करार देते हुए कहा कि यह अत्यंत गंभीर और संदिग्ध मामला है, जिसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। निडर खनन माफिया के हौसले बढ़ते जा रहे हैं, और नि:सहाय सरकार आंख मूंदकर बैठी है।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने एक बयान जारी कर पत्रकार की मौत की सीबीआई से जांच करवाने की मांग करते हुए कहा है कि दुर्घटना के जो सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं उससे प्रथम दृष्टया स्पष्ट दिखलाई देता है कि इरादतन ट्रक ने संदीप शर्मा को कुचला है।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने आगे कहा कि संदीप शर्मा के साथ हुआ यह हादसा इसलिए भी हत्या का प्रयास है क्योंकि पहले ही वे स्थानीय एसडीओपी इंद्रवीर सिंह भदौरिया के खिलाफ किए गए स्टिंग अपरेशन के बाद अपनी जान पर खतरे की आशंका जता चुके थे और उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित सभी संबंधित अधिकारियों को इसको लेकर चेताया था। लेकिन कोई सुनवाई न होने की वजह से आज उनके साथ यह हादसा हो गया।

मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने संदीप शर्मा की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि संदीप छात्र जीवन से ही निर्भीक और आदर्शवादी छात्र रहा है। मध्यप्रदेश में खनन माफियाओं की लूट को उजागर करने वाले पत्रकारों की इससे पहले भी कई हत्याएं हो चुकी हैं।

आम आदमी पार्टी की राज्य इकाई ने भी पत्रकार शर्मा की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।

नेशनल

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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