उत्तराखंड
सरकारी भवनों में सोलर ऊर्जा को प्राथमिकता दें: राज्यपाल
देहरादून। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. केके पाल ने प्रमुख सचिव ऊर्जा को निर्देशित किया कि शीघ्र ही सभी सरकारी भवनों में सोलर ऊर्जा प्रणाली की व्यवस्था की जाये। सिविल सचिवालय भवन से इस अभियान की शुरूआत हो। उन्होनें कहा कि सोलर सिस्टम के लिए सचिवालय परिसर के भवनों की हजारो वर्ग फीट छत का सदुपयोग किया जा सकता है क्योकि परिसर के आस-पास बडे पेड़ न होने से सोलर पावर सिस्टम पूर्णतः सफल होगा। ऊर्जा बचत की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दी जाये। जन शिकायते/जन समस्याओं की सुनवाई के दौरान ही राज्यपाल द्वारा मंगलवार को सचिवालय में अन्य कई विभागों के कार्यो की भी समीक्षा की गई। उन्होनें विगत सप्ताह फ्लाई ओवर्स तथा ए.डी.बी. के कार्यो के निरीक्षण के बाद, अपर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी की अध्यक्षता में गठित ‘प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग कमेटी‘ से वर्णित परियोजनाओं के कार्यो की प्रगति का ब्यौरा लिया।
राज्य में फाॅरेस्ट फायर की बढ़ती घटनाओं से चिन्तित राज्यपाल ने वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए किये जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की। वनाग्नि के कारण नष्ट हो रही बहुमूल्य वन सम्पदा को बचाने के लिए राज्यपाल ने सभी सम्भव उपाय अपनाने केे निर्देश देते हुए कहा कि जंगल में लग रही आग पर प्रभावी नियंत्रण के लिए हैलीकाप्टर तथा जी.पी.एस. सर्वे सिस्टम का उपयोग किया जाये। पर्यावरण संरक्षण के प्रति गम्भीर राज्यपाल ने प्रदूषण नियंत्रण से सम्बंधित अधिकारियों से भी विचार-विमर्श किया। उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड़ के घनी आबादी वाले सभी शहरो को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ऐसी ठोस और व्यावहारिक कार्य योजना बनायी जाए जिसे क्रियान्वित करने में व्यवधान न आये। इसके लिए जन-जागरूकता को भी आवश्यक बताया।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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