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मथुरा के सपूत बबलू की शहादत को लोगों ने किया नमन
द्वारकेश बर्मन
मथुरा। जम्मू-कश्मीर के नौगाम सेक्टर में शुक्रवार की रात करीब साढ़े नौ बजे आतंकियों से हुई मुठभेड़ में थाना फरह क्षेत्र के गांव झंडीपुर का जवान बबलू सिंह शहीद हो गया। रविवार को करीब तीन बजे उनका पार्थिव शरीर आर्मी हेलीपेड मथुरा पर लाया जाना था जो की काफी विलम्ब के बाद शाम छः बजे पहुंच सका। यहां से आर्मी की गाड़ी से पार्थिव शरीर को लेकर शहीद के गांव झंडीपुर ले जाया गया। सोमवार की सुबह शहीद बबलू सिंह को अंतिम सलामी दी गई।
सदर तहसील के गांव झंडीपुर निवासी मलूका सिंह के दूसरे नंबर के पुत्र बबलू सिंह जाट रेजीमेंट में जून 2005 में आगरा से सेना में भर्ती हुए थे। 23 जून को ही बबलू अवकाश से ड्यूटी पर जम्मू कश्मीर के नौगाम सेक्टर गए थे।
शुक्रवार की रात को आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए थे, जबकि आधा दर्जन घायल हुए थे। शहीद होने वालों में बबलू भी शामिल थे। शनिवार की सुबह जाट रेजीमेंट के हैड क्वार्टर से शहीद के बड़े भाई निर्भय सिंह को बबलू के आतंकियों से मुकाबला करते समय शहीद होने की सूचना दी गई थी, पर परिजनों ने शहीद की पत्नी रविता समेत परिवार की महिलाओं को नहीं दी थी।
शहीद के छोटे भाई हरिओम ने बताया कि बबलू सिंह का बड़ा पुत्र छह साल का द्रोणा और साढ़े तीन साल की पुत्री गरिमा है। वह अक्सर फोन पर घर वालों की जानकारी लेते रहते थे। पत्नी से तीन जुलाई को ही बातचीत में उन्होंने सबका हालचाल पूछा था।
उन्होंने बताया कि बबलू सिंह का परिवार थाना हाईवे क्षेत्र की बालाजीपुरम कॉलोनी में रह रहा है और शहीद होने की जानकारी अभी बबलू की पत्नी को इसलिए नहीं दी गई है कि वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। हालांकि सभी रिश्तेदारों को अवगत करा दिया गया है।
शहीद जवान के गांव झंडीपुर में लोगों को देर रात बबलू के शहीद होने की जानकारी हो गई थी। बड़ी संख्या में लोग बबलू के पैतृक आवास पर जमा हो गए थे। कुछ रिश्तेदार भी सूचना मिलने पर झंडीपुर के लिए रवाना हो गए थे। बबलू की एक बहन अंजना है और उसकी शादी हो गई।
बबलू के पिता मलूका सिंह रिफाइनरी में मजदूरी करते हैं, जबकि अन्य भाई खेती कर रहे हैं। छोटे भाई को भी बबलू आर्मी में लाना चाहता था। एडीएम अजय कुमार अवस्थी और आर्मी के प्रशासनिक अधिकारी संदीप शर्मा ने संयुक्त रुप से जानकारी देते हुए बताया कि शहीद पार्थिव शरीर आर्मी हैलीपेड मथुरा पर आएगा। यहां से आर्मी की गाड़ी से पार्थिव शरीर को लेकर शहीद के गांव झंडीपुर जाएगी। जिसके बाद शहीद को अंतिम सलामी दी जाएगी।
शहीद के आश्रितों की मांग, शासन के हवाले
जम्मू-कश्मीर में दो आतंकियों को मारकर शहीद हुए जांबाज बबलू कुमार के परिजनों की मांगों को सोमवार रात डीएम ने शासन को भेज दिया। साथ ही शहीद सैनिक की पत्नी रविता को कृषि भूमि आवंटित किए जाने के लिए पात्रता की रिपोर्ट भी एसडीएम सदर से मांगी गई है। शहीद के परिवार का कृषि भूमि में अभी संयुक्त खाता है, लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि शहीद बबलू कुमार के हिस्से में करीब एक बीघा भूमि ही आएगी।
डीएम ने बताया कि पात्रता के आधार शहीद के आश्रितों को कृषि भूमि दी जाएगी। इसके लिए सबसे पहले गांव में ग्राम समाज की भूमि उपलब्ध होना जरूरी है। अगर शहीद के आश्रित पात्र हैं और गांव में जमीन उपलब्ध है, तो प्रशासन ही जमीन आवंटित करने की कार्रवाई करेगा। पेट्रोल पंप, शहीद स्मारक, एक आश्रित को नौकरी देने की मांग शासन को भेज दी गई है।
शहीद बेटे के पिता गर्व से बोले पोते को भी फौज में भेजूंगा!
शहीद बबलू सिंह के पिता मलूका सिंह ने कहा कि बेटे ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी है, हमें उस पर फख्र है। बड़ा बेटा निर्भय भी सेना में भर्ती हो गया था, लेकिन बीमार होने की वजह से नहीं जा सका था। उन्होंने कहा कि एक बेटा शहीद हो गया है, फिर भी दो बेटे सेना में भर्ती की तैयारी कर रह रहे हैं। मैं तो पौत्र को भी फौज में भेजूंगा।
जब तक सूरज चांद रहेगा, बबलू तेरा नाम रहेगा
झंडीपुर में शहीद बबलू सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने के दौरान ग्रामीणों ने उसके साहस और बलिदान को याद किया। ग्रामीणों ने कहा कि बबलू सिंह ने गांव का नाम रोशन कर दिया है। इस दौरान युवाओं ने भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा, बबलू तेरा नाम रहेगा आदि नारे लगाए।
कई बार बेसुध हुईं मां-बहन
शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही जोरदार बारिश शुरू हो गई, जो चार घंटे तक चली। पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार को ले जाने से पहले बबलू की मां और बहन कई बार बेहोश हो गईं, जबकि उनकी वीरांगना रविता गमजदा दिखीं।
इन्होंने दी श्रद्धांजलि
शहीद को अंतिम विदाई देने पूर्व मंत्री लक्ष्मी नारायण, पूर्व सांसद तेजवीर सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनूप चौधरी, बलदेव विधायक पूरन प्रकाश, रालोद जिला अध्यक्ष रामवीर भरंगर, प्रताप चौधरी, पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया, जिला पंचायत सदस्य अरुण सिंह, एमएलसी संजय लाठर, सपा नेता किशोर सिंह वीरेंद्र सिंह, अशोक अग्रवाल, नेम सिंह, प्रताप सिंह, राजेन्द्र प्रधान, एसपी सिटी, सीओ रिफाइनरी सहित हजारों क्षेत्रीय लोग, नेता व अधिकारी पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।
वर्दी में गया और तिरंगा ओढ़ कर लोटा ब्रज का बेटा,बबलू से कहलाया शहीद बबलू
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में दो पाकिस्तानी आतंकियों को ढेर करने के बाद शहीद हुए जिले के वीर सपूत बबलू सिंह के अंतिम दर्शन के लिए रविवार को हजारों आंखें तरसती रहीं।
जम्मू-कश्मीर का मौसम खराब होने और दिल्ली में शहीद सैनिकों को अंतिम सलामी देने में हुई देरी के कारण शहीद का पार्थिव शरीर शाम को यहां आ सका, जहां सैन्य और प्रशासनिक अफसरों ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
शव को स्ट्राइक वन के मुख्यालय पर रखा गया है। सोमवार सुबह सेना की टुकड़ी शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव पहुंची, जहां उनकी अंत्येष्टि की गई।
सुबह जैसे ही अखबारों से बबलू सिंह के शहीद होने की खबर लोगों को मिली, सैकड़ों की तादाद में लोग उनके पैतृत गांव झंडीपुर पहुंच गए। शहीद सैनिक के रिश्तेदार, परिजन और क्षेत्रीय लोगों का शाम तक गांव में भारी जमावड़ा हो गया था। सभी निगाहें गांव आने वाले रास्ते पर टिकी हुई थीं।
वक्त गुजर रहा था और लोग शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए मार्ग के किनारे खड़े हो गए थे। देर रात तक हजारों लोग गांव में जमे हुए थे, लेकिन जब उन्हें शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को गांव आने की जानकारी मिली, तो भीड़ छटने लगी।
स्ट्राइक वन मथुरा स्टेशन से सुबह छह बजे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर सेना की टुकड़ी गांव झंडीपुर के लिए रवाना हुई। 6.40 बजे पार्थिव शरीर गांव पहुंचा और एक घंटे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद मुखाग्नि दी गई।
अफसरों ने दी श्रद्धांजलि
18 जाट रेजिमेंट में तैनात सैनिक बबलू सिंह का पार्थिव शरीर तीन बजे मथुरा हेलीकॉप्टर से मथुरा आना था, लेकिन शाम करीब साढ़े छह बजे बजे आ सका। एडीएम प्रशासन अजय कुमार अवस्थी ने बताया कि सोमवार की सुबह सेना की टुकड़ी शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव को रवाना हुए।
इससे पहले स्ट्राइक वन मथुरा में डीएम निखिल चंद्र शुक्ला, एसएसपी बबलू सिंह, लेप्टिनेंट जनरल शौकिन चौहान, जनरल अॅफसर कमांडिंग, स्ट्राईक 1, डी ने वीर सपूत को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
साथ बैठाकर खिलाता था खाना
पिता मलूकचंद को बेटे की शहादत पर गर्व है। कहते हैं, देश के लिए उसने अपनी जान न्यौछावर कर दी। वह बताते हैं कि बबलू जब भी छुट्टी पर आता था, तो साथ ही रहता था और साथ ही बैठाकर खाना खिलाता था। बेटे ने अपना और गांव का नाम अमर कर दिया। इससे अधिक कोई भी बेटा अपने पिता को और क्या दे सकता है? उसकी कमी पूरी नहीं की जा सकती है, लेकिन उसकी यादों के सहारे जीवन के बाकी के दिन काटने ही हैं।
भाई गया पर नाम रोशन कर गया
शहीद के बड़े भाई चौधरी निर्भय सिंह ने बताया कि उसका भाई देश के लिए शहीद हो गया, लेकिन देश का नाम रोशन कर गया। उन्होंने कहा कि भारत माता के लिए अपनी जान की बाजी लगाने का सौभाग्य हर किसी को प्राप्त नहीं होता, जो उसके भाई का प्राप्त हुआ है। पर भाई तो भाई होता है। उसकी कमी हमे सदा ही खलती रहेगी।
एक तमन्ना थी
शहीद के मित्र कोमल सिंह, बच्चू सिंह, मोनू ने बताया कि सेना में भर्ती होने के बाद बबलू सिंह कहते थे कि गांव के पास सेना का एक ट्रेनिंग सेंटर होना चाहिए, क्योंकि गांव के एक दर्जन युवक सेना में हैं।
भाई की शाहदत पर गर्व
शहीद के छोटे भाई हरिओम ने बताया कि उनके भाई परिवार का मुखिया थे। सबके साथ मित्र जैसा व्यहवार उनकी खूबी थी। घर-परिवार के सभी फैसले वही लेते थे। दुश्मनों ने उनसे उनका भाई छीन लिया, पर इस बात का गर्व है कि वह देश के लिए लड़ते हुए शहीद हुए हैं। उनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सका।
ठहरने के लिए ताने गए तंबू
गांव पहुंचे शहीद के रिश्तेदारो और ग्रामीणों को ठहरने की व्यवस्था करने में ग्रामीण सुबह से ही जुटे हुए थे। प्रधान फौरन सिंह वर्मा, पूर्व प्रधान नेम सिंह और महुअन के पूर्व सैनिक प्रताप चौधरी ने इसके लिए तंबुओं की व्यवस्था की।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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