Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

सांप्रदायिकता, इस्लामोफोबिया के शिकार हैं मुस्लिम युवा : नंदिता हक्सर

Published

on

सांप्रदायिकता इस्लामोफोबिया के शिकार मुस्लिम युवा, नंदिता हक्सर, 'फ्रेम्ड एज अ टेररिस्ट'

Loading

सांप्रदायिकता इस्लामोफोबिया के शिकार मुस्लिम युवा, नंदिता हक्सर, 'फ्रेम्ड एज अ टेररिस्ट'

साक्षात्कार

सोमरिता घोष

नई दिल्ली| हर युवक की तरह 20 वर्षीय मोहम्मद आमिर खान ने भी अपने सुनहरे भविष्य का सपना देखा था। लेकिन, उन्हें इसका अहसास नहीं था कि जल्द ही उनके सपने चकनाचूर हो जाएंगे। एक रात दिल्ली पुलिस ने अचानक उन्हें उठा लिया और आतंकवादी होने का झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया। आमिर को इस आरोप से मुक्त होने में 14 साल लग गए। अपने इस खौफनाक अनुभव पर लिखी गई पुस्तक के वह सह-लेखक हैं। ‘फ्रेम्ड एज अ टेररिस्ट’ नामक इस पुस्तक की सह लेखिका नन्दिता हक्सर हैं जो सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता भी हैं। वह कहती हैं, “दिल्ली में बढ़ती सांप्रदायिकता को अभिलेखित करने का यही तरीका था जहां हिन्दू और मुसलमान नजदीक रहने के बावजूद एक-दूसरे के घर नहीं जाते हैं। उनकी कहानी के कुछ अंश इस स्थिति का बयान हैं कि सभी मुस्लिम युवक सांप्रदायिकताऔर इस्लामोफोबिया (इस्लाम के प्रति दुराग्रह) का सामना कर रहे हैं। ” हक्सर ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, “आमिर के वकील एन.डी. पंचोली ने मुझे उनसे मिलाया था। मानवाधिकार आंदोलन में पिछले कई दशकों से पंचोली मेरे सहयोगी रहे हैं। करीब एक महीने तक मिलने- जुलने के बाद आमिर एक दिन मेरे घर आए और अपनी आपबीती सुनाई।”

‘फ्रेम्ड एज अ टेररिस्ट’ नामक पुस्तक की सह लेखिका हैं नन्दिता हक्सर

पुस्तक में इस बात का खुलासा किया गया है कि किस तरह आमिर को गलत तरीके से आरोपित किया गया। विभिन्न जेलों में किस तरह पुलिस ने निर्ममतापूर्वक उनकी पिटाई की और मुसलमान होने के चलते उन्हें किस तरह उत्पीड़ित किया गया, मौलिक अधिकार से वंचित किया गया। पुस्तक के पहले अध्याय का शीर्षक ‘द कंटेक्स्ट’ है जिसमें हक्सर ने लिखा है, “आमिर गवाह हैं बढ़ते हिन्दू फासीवाद और मुस्लिम कट्टरवाद के। उन्होंने तब भी इसे महसूस किया जब वह जेल में थे। उन्होंने हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एक अदृश्य दीवार को खड़े होते देखा है। इसके बावजूद आमिर ने दोनों समुदायों के बीच की दूरियों को पाटने का भरसक प्रयत्न किया। इसकी वजह लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षतामें वह विश्वास है जो उन्हें पुरानी दिल्ली के इतिहास से मिला है, जहां वह पले-बढ़े हैं। पुस्तक में हक्सर ने लिखा है, “पहले तो उनके शब्द मुझे सिर्फ मुहावरे की तरह लगे। लेकिन, जब मैंने उनकी अभिव्यक्ति पर गौर किया तो पाया कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द उनके लिए व्यापक अर्थ रखते हैं। यही तो उम्मीद है जिसके सहारे वह हर रोज जीते हैं।”

हक्सर, आमिर की कहानी कहने में इसलिए दिलचस्पी दिखा रही हैं कि उनके पूर्वज उसी क्षेत्र में रहते थे जहां से आमिर आते हैं। नंदिता ने ‘फ्रेमिंग गिलानी, हैंगिंग अफजल: पैट्रियाटिज्म इन दी टाइम ऑफ टेरर’ और ‘द मेनी फेसेज ऑफ कश्मीरी नेशनलिज्म’ जैसी किताबें भी लिखीं हैं। वकील होने की वजह से वह यह भलीभांति जानती हैं कि कैसे भारतीय विधि प्रणाली काम करती है। यह उनकी लेखनी में यह झलकता भी है। एक आमिर ही नहीं है जिनके साथ गलत हुआ है। बल्कि, ऐसे कई मुस्लिम युवक हैं जिन्हें इससे पीड़ित होना पड़ा है या उन्हें न्याय मिलने में देर हुई है या फिर वे दोनों का शिकार हुए हैं।

हक्सर कहती हैं, “सभी गरीब और कई बार धनी लोगों को भी न्यायिक प्रक्रिया की विफलता के चलते देर से न्याय मिलता है। लेकिन, मुसलमानों को ऐसे पक्षपात और पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है जिससे अन्य लोगों को नहीं गुजरना पड़ता। मेरा मानना है कि न्याय देने में भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की इस विफलता के पीछे क ई कारण हैं, जिनेमें बार (वकीलों की संस्था) भी शामिल हैं जो व्यवस्था में सुधार के लिए कभी भी हस्तक्षेप नहीं करते। इसके अलावा समाज में राजनैतिक जागरूकता की कमी भी महत्वपूर्ण कारण है।”

नंदिता हक्सर महसूस करती हैं कि मुस्लिम समुदाय के प्रति बढ़ते पूर्वाग्रहों को समाप्त किया जा सकता है, लेकिन यह तब संभव होगा जब स्वच्छ भारत अभियान की तरह सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में शैक्षणिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका हो सकती है, पर पहले सभी राजनैतिक दलों को चाहिए कि वे इस समस्या को रेखांकित करें। इसलिए हक्सर के लिए आमिर की कहानी महज व्यवस्था से पीड़ित व्यक्ति की व्यथा-कथा नहीं है, बल्कि इसका बहुत बड़ा राजनैतिक महत्व है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में पुलिस और जेल सुधार, गलत तरीके से आरोपित लोगों के पुनर्वास, पुलिस, डॉक्टर, मजिस्ट्रेट, राजनीतिक दलों और मीडिया की भूमिका से जड़े मुद्दे उठाए गए हैं।

Continue Reading

नेशनल

PM इंटर्नशिप योजना लॉन्च, कहां और कैसे करें रजिस्ट्रेशन? मिलेंगे हर माह 5000 रुपए

Published

on

Loading

नई दिल्ली। भारत सरकार की इंटर्नशिप स्कीम, पीएम इंटर्नशिप योजना 2024 लांच कर दी गई है। पीएम इंटर्नशिप योजना का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है। योजना के अनुसार, जो युवा पीएम इंटर्नशिप स्कीम सेलेक्शन प्रॉसेस के जरिए चुने जाएंगे, उन्हें हर महीने 5 हजार रुपये और साल में 6000 रुपये मिलेंगे। पहले दिन 3 अक्टूबर को ही पोर्टल पर इंटर्नशिप के लिए विभिन्न कंपनियों की ओर से कुल 1077 पदों के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया। इनमें एग्रीकल्चर, ऑटोमोबाइल और फाॅर्म से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। इस योजना के तहत युवाओं को मौजूदा कारोबारी माहौल से रूबरू कराकर उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाया जाएगा, जिससे की युवाओं को आसानी से नौकरियां मिल सकें। इंटर्नशिप के पहले बैच के लिए एप्लीकेशन विंडो 25 अक्टूबर तक ओपन रहेगी।

सरकार की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि पीएम इंटर्नशिप पायलट परियोजना का पहला चरण दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरी होने की उम्मीद है. उसके बाद इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण का नियम इस योजना में भी लागू होगा। परियोजना के संचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ऑटोनोमस बॉडी बीआईएसएजी-एन (भास्कराचार्य नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेश एप्लिकेशंस एंड जियो इंफॉर्मेटिक्स) के साथ भागीदारी की गई है।

युवाओं के खाते में 4,500 रुपये डालेगी सरकार

पीएम इंटर्नशिप पोर्टल के माध्यम से भागीदार कंपनियां इंटर्नशिप के अवसर प्रदान कर सकती हैं। पायलट परियोजना के लिए टॉप कंपनियों की पहचान पिछले तीन साल में उनके सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) व्यय के औसत के आधार पर की गई है। कोई भी दूसरी कंपनी, बैंक या वित्तीय संस्थान मंत्रालय की मंजूरी से इस योजना में भाग ले सकते हैं। प्रशिक्षुओं को हर महीने 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस कुल राशि में से 4,500 रुपये सरकार सीधे चयनित उम्मीदवार के बैंक खाते में डालेगी, जबकि 500 रुपये कंपनी अपने सीएसआर कोष से भुगतान करेगी। योजना के तहत प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण से जुड़ा खर्च कंपनी अपने सीएसआर कोष से उठाएगी।

पीएम इंटर्नशिप के लिए पात्रता

पूर्णकालिक नौकरी और पढ़ाई नहीं कर रहे 21 साल से 24 साल के युवा इसके लिए पोर्टल के जरिये आवेदन कर सकते हैं.
ऑनलाइन या डिस्टेंस एजुकेशन प्रोग्राम से जुड़े उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र हैं.
जिन उम्मीदवारों ने हाई स्कूल, उच्च माध्यमिक स्कूल से परीक्षा उत्तीर्ण की है, आईटीआई का सर्टिफिकेट है, पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा है या बीए, बीएससी, बी.कॉम, बीसीए, बीबीए, बी.फार्मा जैसी डिग्री के साथ स्नातक हैं, वे सभी इसके लिए पात्र होंगे.
इसमें कुछ ऐसे मानदंड भी हैं, जिन्हें पूरा करने वाले योजना में शामिल नहीं हो पाएंगे.
इसमें जिन उम्मीदवारों के परिवार में किसी सदस्य की सालाना आय 2023-24 में 8 लाख रुपये से अधिक थी, उन्हें योजना शामिल नहीं किया जाएगा.

पीएम इंटर्नशिप के लिए ऐसे करें अप्लाई

पात्र उम्मीदवार पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. वहां उनके विवरण का इस्तेमाल ‘बायोडाटा’ तैयार करने के लिए किया जाएगा.
उम्मीदवार अपने पसंदीदा क्षेत्रों, भूमिकाओं और स्थानों के आधार पर इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं.
मामले में कोई शिकायत आने पर संबंधित कंपनी का नोडल अधिकारी इसका निपटान करेगा। जबकि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय योजना पर नजर रखेगा.
पीएम इंटर्नशिप योजना में रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन पोर्टल www.pminternship.mca.gov.in पर किया जाएगा.
इंटर्नशिप 2दिसंबर से शुरू होगी और 12 महीने के लिए होगी.
इंटर्नशिप के लिए चयनित युवाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा कवर दिया जाएगा.
इसके लिए प्रीमियम का भुगतान सरकार करेगी.
कंपनियां चयनित उम्मीदवार को अतिरिक्त दुर्घटना बीमा उपलब्ध करा सकती हैं.

 

Continue Reading

Trending