उत्तराखंड
राज्यसभा के लिए भाजपा का गोपनीय दांव
देहरादून। राज्यसभा चुनाव में भाजपा एक बार फिर कांग्रेस को चैंकाने की तैयारी में है। अंदरखाने अनिल गोयल को राज्यसभा भेजने की बात तय भी हो चुकी है। इसके लिए आज विधायकों की बैठक में व्हिप जारी किया जाएगा। खबर यह भी है कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा को जिन तीन विधायकों की जरूरत है, उसका भी इंतजाम हो चुका है।
इस बार सारा कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा गया है, जिससे कांग्रेस उसकी काट न ढूंढ सके। विधायक भीमलाल और रेखा आर्या की सदस्यता रद्द होने के बाद अब कुल 59 विधायकों को राज्यसभा के लिए वोटिंग करनी है। इस लिहाज से 30 वोट मिलने की स्थिति में संबंधित प्रत्याशी की जीत तय है।
मौजूदा स्थितियों में भाजपा के पास 27 विधायक और कांग्रेस के पास 26 विधायक हैं। इसके अलावा छह विधायक पीडीएफ के हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा आलाकमान ने किसी भी सूरत में राज्यसभा सीट हाथ से न निकलने को लेकर प्रदेश नेतृत्व को चेताया है।
इसके पीछे अहम वजह रास में भाजपा का बहुमत न होना है, जिससे तमाम बिल पास करने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में राज्यसभा की एक-एक सीट भाजपा के लिए अहम है। इस तरह भाजपा पर किसी भी कीमत पर रास चुनाव जीतने का भारी दबाव है।
इसे देखते हुए प्रदेश भाजपा के सभी बड़े पदाधिकारियों ने आपस में मंत्रणा कर पहले तो अनिल गोयल के पक्ष में मतदान की बात तय की है। शुक्रवार को होने वाली बैठक में इसकी घोषणा के साथ ही व्हिप भी जारी कर दिया जाएगा।
इसके अलावा चुनाव जीतने के लिए जिन तीन विधायकों की आवश्यकता है, उसके लिए कांग्रेस और पीडीएफ में सेंधमारी करने की भी खबर है। इस काम में हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए बागी विधायकों का भी सहयोग लिया गया है। माना जा रहा है कि बेहद खामोशी और गोपनीयता के साथ बनाई गई इस पूरी रणनीति से भाजपा सबको सरप्राइज देकर चैंकाने वाली है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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