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उत्तराखंड

दो दिन में ही आसमान छूने लगे टमाटर के भाव

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आसमान छूने लगे टमाटर के भाव, टमाटर के दाम 80 रुपये

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आसमान छूने लगे टमाटर के भाव, टमाटर के दाम 80 रुपये

tomato

देहरादून। प्याज के बाद अब टमाटर गुस्से से लाल है। राजधानी देहरादून में टमाटर के दामों में एक दिन में ही अप्रत्याशित बढोत्तरी हुई है, दाम 80 रुपये पहुंच गए हैं। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं। उत्तराखंड में इन दिनों टमाटर पहाड से आता है।

मुख्यतः इसकी पैदावार पहाड़ में चकराता, पुरोला, बडकोट, टिहरी क्षेत्रों में होती है। यहां के बाजार में बरसात के मौसम में पहाड के टमाटर की काफी खपत होती है। अभी मात्र दो दिन पहले बाजार में यह सिर्फ 40 रुपये किलो बिक रहा था, लेकिन दो दिन के अन्तराल पर दाम 80 रुपये किलो तक पहुंच चुका है। फुटकर दुकानदारों की मानें तो मंडियों में ही टमाटर मंहगा मिल रहा है।

आलू और अन्य सब्जियों के दामों ने आम आदमी की थाली से सब्जियों को गायब कर दिया था। उसके बाद दालों ने भी महंगाई के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। अब एक बार फिर से आम लोगों को टमाटर की मार भी झेलनी पड रही है। गृहणियों की मानें तो दाम आसमान छू रहे हैं पहले 1 किलो लेते थे अब आधे किलो में काम चलाना पडेगा। अचानक हुई इस बढ़ोत्तरी से ग्राहक हैरान परेशान हैं। ग्राहकों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर मात्र दो दिनों में ही टमाटर के दाम में दोगुनी बढ़ोत्तरी कैसे हो गई।

ग्राहक बाजार में टमाटर के दाम सुनकर ही चैंक रहे है। धर्मपुर मंडी में दुकानदार दया प्रसाद कहते है कि बरसात के समय टमाटर पहाडों से आता है और इस समय आपूर्ति कम और मांग ज्यादा होने के कारण दामों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। मंडियों में टमाटर 13 से 14 सौ रुपये प्रति टेª बिक रही है जो फुटकर बाजारों में आते आते 75 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। दुकानदार भी की बढ़ती कीमतों से परेशान है, क्योंकि ग्राहकों को समझाएं तो कैसे।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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