बिजनेस
अडानी एंटरप्राइजेज ने एनएलसी इंडिया के साथ किया कोयला खनन समझौता
अहमदाबाद, 26 मार्च (आईएएनएस)| अडानी एंटरप्राइजेज ने सोमवार को कहा कि उसकी सहयोगी कंपनी तालाबीरा (ओडिशा) माइनिंग ने ओडिशा के तालाबीरा दो और तीन कोयला ब्लॉक के विकास और परिचालन के लिए एनएलसी इंडिया के साथ समझौता किया है। एक विनियामकीय फाइलिंग में कंपनी ने कहा, कंपनी की सहायक कंपनी तालाबीरा (ओडिशा) माइनिंग प्रा. लि. (टीओएमपीएल) ने एनएलसी इंडिया लि. के साथ तालाबीरा 2 और 3 कोयला ब्लॉक के विकास और परिचालन के लिए कोयला खनन समझौता किया है।
कंपनी ने कहा है कि इस परियोजना से 12,200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
अडानी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी अब राज्य की संबलपुर और झारसुगुडा जिलों में आईबी घाटी कोलफील्ड में स्थित तालाबीरा दो, तीन और दूसरे कोयला ब्लॉक के ऑपरेटर निविदा के लिए सहायक बोलीदाता बन गया है।
इसकी खनन क्षमता लगभग दो करोड़ टन प्रतिवर्ष होगी, जिसमें कुल मिलाकर 55.4 करोड़ टन खनिज भंडार होगा।
कोयला मंत्रालय ने कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत एनएलसी इंडिया को इन दो कोयला ब्लॉक को विकास, खनन और कैप्टिव खपत के लिए आवंटित किया है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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