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बिजनेस

अपोलो हॉस्पिटल्स का मुनाफा 23 फीसदी घटा

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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)| वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में अपोलो हॉस्पिटल्स के मुनाफे में 22.92 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह 70.90 करोड़ रुपये रहा। इसका प्रमुख कारण कंपनी के खर्चो में हुई वृद्धि है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल नियामकीय रिपोर्ट में कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में उसने 91.99 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था।

कंपनी ने बताया कि समीक्षाधीन अवधि में उसके परिचालन राजस्व में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 1851.64 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1634.10 करोड़ रुपये था।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि चालू वित्त वर्ष की 30 सितंबर को खत्म हुई तिमाही में उसका कुल खर्च 1,755.63 करोड़ रुपये रहा, जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के दौरान 1,519.37 करोड़ रुपये था।

अपोलो हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. प्रताप सी. रेड्डी ने एक बयान में कहा, अब अपोलो अस्पताल 34 वर्ष का है। हम एक ऐसी संस्था के रूप में अपनी विरासत की परवरिश करते हैं जिसमें विश्व स्तर का बुनियादी ढांचा है। अपोलो ने अपने नैदानिक परिणामों, कुशल चिकित्सकीय टीमों और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए वैश्विक मान्यता अर्जित की है, जिसने इसे पश्चिमी दुनिया की तुलना में एक सस्ती कीमत पर उच्चतम गुणवत्ता की चिकित्सा देखभाल प्रदान की है। हम अपोलो परिवार में कड़ी मेहनत करते रहेंगे, कई नवाचारों को पेश करेंगे और उन सभी की सेवा करेंगे जो पूरे भारत में और दुनियाभर में हमारे पास आते हैं।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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