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बिजनेस

अब ट्विटर पर 140 की बजाए 280 कैरेक्टर में कर सकेंगे पोस्ट

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सैन फ्रांसिस्को, 8 नवंबर (आईएएनएस)| ट्विटर पर पोस्ट करने के लिए 140 शब्द की सीमा 2006 से ही है, लेकिन बुधवार को कंपनी ने नई 280 शब्दों की सीम शुरू की है जो अब सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा, जिसमें बंगाली, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, मराठी और तमिल भाषा में किए गए ट्वीट भी शामिल हैं।

ट्विटर ने सितंबर में चुने गए यूजर्स के साथ एक परीक्षण किया, जिसमें 140 शब्दों की समय सीमा हटा ली गई थी, ताकि वे ट्विटर पर अपने आप को आसानी से अभिव्यक्त कर सकें।

माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ने बुधवार को एक ब्लाग पोस्ट में कहा, हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि हम गति और संक्षिप्तता बनाए रखें, जो ट्विटर को ट्विटर बनाती है। सभी आंकड़ों को देखने के बाद हमने सभी भाषाओं में यह बदलाव लागू करने का फैसला किया है।

परीक्षण के दौरान पहले कुछ दिनों कई लोगों ने 280 की पूर्ण सीमा तक ट्वीट किए, लेकिन थोड़ी बाद उनका व्यवहार सामान्य हो गया।

ट्विटर की उत्पाद प्रबंधक अलीजा रोशन ने कहा, हमने देखा कि लोगों को 140 कैरेक्टर की सीमा से अधिक की जरूरत है, ताकि वे और आसानी से और ज्यादा बार ट्वीट कर सकें। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि ज्यादातर लोगों ने ज्यादातर वक्त 140 कैरेक्टर से कम में ही ट्वीट किया।

केवल 5 फीसदी ट्वीट ही 140 कैरेक्टर से लंबे होते हैं और केवल 2 फीसदी ट्वीट ही 190 कैरेक्टर से अधिक होते हैं।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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