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अन्तर्राष्ट्रीय

‘अमेरिकी सेना ने आईएस आतंकियों को रक्का से दायर-अल-जौर भेजा’

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दमिश्क, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया है कि अमेरिकानीत सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) की सुरक्षा में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कई आतंकवादियों को उत्तरी शहर रक्का से पूर्वी सीरिया में दायर-अल-जौर प्रांत की तरफ भेजा जा रहा है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं का हवाला देते हुए सरकारी समाचार एजेंसी सना ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के युद्धक विमान पिछले दो दिनों सें बिना हवाई हमला किए रक्का के ऊपर उड़ रहे हैं जिसे आईएस अपनी राजधानी बताता है।

‘सना’ ने कहा कि अमेरिका और एसडीएफ ने आईएस आतंकियों को रक्का से दायर-अल-जौर स्थानांतरित करने के लिए समझौता किया है, जहां सीरिया सरकार के सुरक्षाबल आईएस आतंकवादियों से लड़ रहे हैं।

अमेरिका द्वारा आईएस को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सना ने कहा, अमेरिका और दाएश (आईएस) के बीच हुआ यह पहला समझौता नहीं है। ऐसे समझौते पहले भी रक्का के ग्रामीण इलाकों तब्का, मंसुरा और करामा से आईएस आतंकियों को निकालकर वहां भेजने के लिए किए जा चुके हैं, जहां सीरिया की सेना आतंकी संगठन के खिलाफ लड़ रही है।

सरकारी समाचार एजेंसी सना ने कहा कि यह समझौता अमेरिका और एसडीएफ के उद्देश्यों को लेकर सवाल उठाता है।

एजेंसी ने कहा है कि अमेरिका ने सीरियाई सेना के पहुंचने से पहले ही दायर-अल-जौर से कई प्रमुख आईएस नेताओं को बाहर निकाल लिया था।

समाचार एजेंसी ने कहा कि यह समझौता रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा अमेरिका पर यह आरोप लगाए जाने के बाद सामने आया कि तंफ इलाके में अमेरिकी सेना की मौजूदगी के बावजूद 400 आतंकवादियों ने इलाके को पार किया।

‘सना’ ने पिछले साल अमेरिकी सेना द्वारा थार्डा पर्वत पर सीरियाई सेना के मोर्चे पर किए गए हमले की भी याद दिलाई, जिसमें 90 सीरियाई सैनिक मारे गए थे और आईएस दायर-अल-जौर के ग्रामीण इलाकों पर कब्जा करने में कामयाब हो गया था।

एजेंसी ने कहा, यह सभी इस सबूत के अंश हैं कि अमेरिका अभी भी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, चाहे वह आईएस हो या कोई और, वह चालाकी से अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सीरिया को निशाना बनाता है।

सीरिया में मानवाधिकारों पर निगरानी रखने वाली संस्था सीरियन आब्जर्वेटरी फार ह्यूमन राइट्स ने पहले कहा था कि विदेशी आईएस लड़ाकू अभी भी रक्का के अंदर हैं, जबकि संगठन के स्थानीय आतंकियों को शहर से बाहर निकाला जा चुका है।

निगरानी संस्था के अनुसार, विदेशी आतंकवादियों के स्थानांतरण या आत्मसमर्पण में पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और फ्रांस विरोध करते हैं।

गठबंधन सेना ने कहा था कि पहले ही 100 आईएस आतंकी रक्का छोड़ चुके हैं।

आईएस आतंकवादियों ने 2014 में रक्का को राजधानी बनाने की घोषणा की थी।

मानवाधिकार संस्था ने सात सितम्बर को कहा था कि पिछले तीन महीनों में अमेरिकी सेना के नेतृत्व में रक्का पर किए गए हवाई हमलों और गोलीबारी में 978 नागरिकों की मौत हो चुकी है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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