प्रादेशिक
अवैध रूप से चल रही फैक्ट्री सीज, सामान बरामद
मनोज तिवारी
हरदोई। जिले के संडीला क्षेत्र मे चल रही एक अवैध बैंडेज फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुये पुलिस ने फैक्ट्री को सीज कर दिया और भारी मात्रा में सामान बरामद किया। यह कार्रवाई यहां संचालित लाइसेंसधारी कंपनियों के मालिकों के की शिकायत पर की गई।
संडीला पुलिस ने ईदगाह के सामने अवैध रूप से चल रही एक गार्ज बैंडेज फैक्ट्री पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान कंपनी से एक वाहन पर बैंडेज बाहर भेजा जा रहा था जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। बताया जाता है कि यह फैक्ट्री काफी दिनों से संचालित की जा रही थी। पहले तो इसके ऊपर किसी का ध्यान नहीं गया लेकिन जब मामला चर्चा में आया तो इसकी शिकायत ऐसी अन्य नौ फैक्ट्रियों के मालिकों ने पुलिस के साथ कई अन्य विभागों के उच्चाधिकारियों से की। शिकायत के बाद पुलिस हरकत में आई। बताया जाता है की फैक्ट्री का मालिक यूसुफ नाम का एक व्यक्ति है जो गौसगंज क्षेत्र में रहता है। उसने काफी समय पहले कानपुर में बाबा हैंडलूम के नाम से मेडिकल स्टोर्स का लाइसेंस लिया था। वहां भी शिकायत पर छापा पड़ा तो वह वहां से भाग निकला और यहां अपना धंधा जमा लिया।
फैक्ट्री में ड्रग विभाग ने भारी मात्रा में माल बरामद किया। जानकारी पाकर पहुंचे ड्रग इंस्पेक्टर सौरभ दुबे ने माल सहित फैक्ट्री सीज कर दी। छापेमारी के दौरान लाइसेंस धारी फैक्ट्री मालिक भी मौजूद रहे।
संडीला नगर पालिका भी थी अवैध फैक्ट्री पर मेहरबान
हरदोई। संडीला नगर में ईदगाह के सामने पकड़ी गई अवैध रूप से संचालित फैक्ट्री पर संडीला नगर पालिका भी काफी मेहरबान है। फैक्ट्री संचालक ने नगर पालिका की भूमि पर अवैध रूप से बोरिंग कराकर उसपर खुलेआम पम्पिंग सेट लगा लिया मगर पालिका के किसी भी अधिकारी कर्मचारी की इस पर नज़र नहीं पड़ी जबकि फैक्ट्री के ठीक सामने पालिका का पंप संख्या 4 बना है। जिस पर एक आपरेटर नियुक्त है। फैक्ट्री पर नगर पालिका की मेहरबानी यहीं नहीं रुकी। पंप हाउस से फैक्ट्री को सीधे पाइप जोड़कर पानी की सप्लाई उपलब्ध करा दी गयी।
अवैध रूप से चल रही फैक्ट्री में कोई विद्युत कनेक्शन नहीं है बताया जा रहा है कि फैक्ट्री को पंप हॉउस से बिजली भी उपलब्ध कराई जा रही थी। यही नहीं पंप आपरेटर की मिलीभगत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंप हॉउस की चाभी भी फैक्ट्री के कर्मचारियों के पास ही रहती थी। फैक्ट्री पर छापे मारी के दौरान भी चाभी कर्मचारियों के पास थी जिससे दोपहर में काफी देर पंप बन्द रहा फिर किसी तरह कर्मचारियों से चाभी लेकर पंप चालू कराया गया।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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