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अमेरिका के सबसे बड़े बम हमले में 36 आईएस आतंकवादी ढेर

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काबुल/वाशिंगटन। अफगानिस्तान के नांगरहर प्रांत में अमेरिकी बम हमले में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के 36 आतंकवादी मारे गए। अमेरिकी सेना ने शक्तिशाली जीबीयू-43 बम गुरुवार को गिराया। करीब 21 हजार पाउंड यानी 10 हजार किलो वजन का यह परमाणुरहित बम ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्ब’ के नाम से मशहूर है।

अफगानिस्ता के रक्षा मंत्रालय के बयान में बताया गया, “इस कार्रवाई में आईएस का एक मुख्यालय, तीन ठिकाने, कई तहखाने और गहरी सुरंगों के साथ साथ भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद नष्ट हुए हैं।”

बयान में बताया गया, “इस कार्रवाई में किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा है। यह जिले के असदखील क्षेत्र के मोहमंद दारा गांव में हुई।”  मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह बमबारी अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों के साथ मिलकर की गई।

हमले का अफगान राष्ट्रपति ने किया स्वागत
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने आईएस पर इस हमले का स्वागत किया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति आवास की ओर से जारी बयान में कहा गया, “इस हवाई हमले के दौरान नागरिकों को हताहत होने से बचाने के लिए सावधानी बरती गई।”

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि यह बमबारी ‘एक और सफल काम है।’ ट्रंप प्रशासन की ओर से हाल के महीनों में यह तीसरा प्रमुख सैन्य कदम उठाया गया है। इससे पहले यमन में सैनिक कार्रवाई हुई थी, जिसमें कई नागरिक और एक अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। इसी तरह पिछले हफ्ते अमेरिका की ओर से सीरिया के हवाईअड्डों पर अचानक हमला किया गया था।

अफगानिस्तान के अमेरिका में राजदूत हमदुल्लाह मोहिब ने कहा, “पिछले हफ्ते लड़ाई के तेज होने के बाद मैसिव ऑर्डनेंस एयर ब्लॉस्ट बाम्ब (एमओएबी) को गिराया गया।” अमेरिका और अफगान सुरक्षा बल इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रहे थे क्योंकि आईएस ने इस क्षेत्र में बारूदी सुरंगें लगाई हुई थीं।

अमेरिकी सेना ने जीबीयू-43 बम नांगरहर प्रांत के आचिन जिले में गुरुवार को उन गुफाओं को निशाना बनाकर गिराए, जिनका इस्तेमाल आतंकवादी अपने ठिकानों के रूप में करते थे।

अफगानिस्तान में  सबसे बड़ी अमेरिकी कार्रवाई

हाल के महीनों में अफगानिस्तान में यह सबसे बड़ी अमेरिकी कार्रवाई है। ऐसा तो अमेरिका ने तब भी नहीं किया था जब अफगानिस्तान में तालिबान के साथ उसकी लड़ाई चरम पर थी। रक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अमेरिका ने सुनियोजित रणनीति के तहत इस गैर परमाणु बम का इस्तेमाल किया है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के रणनीतिक नजरिए में सख्ती आई है।
इसलिए रक्षा विशेषज्ञ सबसे बड़े बम गिराए जाने की कई वजहें मान रहे हैं :

पाकिस्तान पर पड़ेगा असर
इस बम को अफगानिस्तान के नंगरहार इलाके में गिराया गया है। यह पाकिस्तान की तोरहाम बॉर्डर की दूरी से महज 60 किमी दूर है। यानी संदेश साफ है कि पाकिस्तान, अब अफगान-तालिबान, अलकायदा या इस तरह के आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे। ऐसा नहीं होने पर वह पाकिस्तान की सरपरस्ती में चल रहे ठिकानों को भी निशाना बना सकता है।

अरब देशों को दिया संदेश
आईएसआईएस सुन्नी आतंकी संगठन है। यह खूंखार आतंकी संगठन सीरिया और इराक में सक्रिय है। खाड़ी के कई देश इन्हें फलने फूलने में मदद कर रहे हैं। इस हमले से अरब मुल्कों को यह साफ संदेश गया है कि वे आईएस को शरण देने से बाज आएं।

जानें कितना घातक है अमेरिका का सबसे बड़ा बम

अमेरिका ने अफगानिस्तान के नंगारहर प्रांत में अपना सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराकर दुनिया को अचंभित कर दिया। इस बम का पहली बार इस्तेमाल किया गया है। विशेषज्ञों की माने तो परमाणु बम के बाद यह सबसे घातक बम है। हालांकि अमेरिका के इस सबसे बड़े गैर परमाणु बम (मदर ऑफ ऑल बॉम्ब) से चार गुना शक्तिशाली बम रूस के पास है। इसे फॉदर ऑफ ऑल बॉम्ब के नाम से जाना जाता है।

अमेरिका का 30 फुट लंबा मदर ऑफ ऑल बॉम्ब इतना पावरफुल है कि इसकी जद में आने वाली 300 मीटर के दायरे की जमीन दहल जाती है। हालांकि इसका असर डेढ़ किमी तक होता हैै। अमेरिका ने इस बम का इस्तेमाल आईएस के ठिकाने वाले पहाड़ी इलाके में किया और उनको तबाह कर दिया।

अमेरिका के पास हैं 15 सबसे बड़े गैर परमाणु बम
इस बम हमले में कितना नुकसान हुआ है, इसकी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है. हालांकि इतना तो तय है कि करीब 21,600 पाउंड यानी 10 हजार किलो वजनी इस बम से भारी मात्रा में नुकसान हुआ होगा।
अमेरिकी सिविल इंजीनियर अल्बर्ट वेमोर्ट्स ने इस बम को 2003 में इराक युद्ध के दौरान बनाया था। अमेरिका के पास सिर्फ 15 बम हैं। एक बम की कीमत 314 मिलियन डॉलर बताई जा रही है।

 

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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