बिजनेस
आईडीएसए के नए अध्यक्ष चुने गए विवेक कटोच
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| ओरिफ्लेम इंडिया के कारपोरेट अफेयर्स के निदेशक विवेक कटोच को इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) का नया अध्यक्ष चुना गया है साथ ही हर्बललाइफ की रिनी सान्याल को उपाध्यक्ष चुना गया है। एसोसिएशन की 21वीं सालाना बैठक में कोषाध्यक्ष के रूप में एवन ब्यूटी प्रोडक्ट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कानूनी और सरकारी मामलों के निदेशक जितेंद्र जगोता जबकि सचिव के रूप में एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज के कॉपोर्रेट अफेयर्स के वीपी रजत बनर्जी को चुना गया है।
आईडीएसए की 27 सितम्बर 2017 को आयोजित सालाना आम बैठक में समिति के नए अध्यक्ष विवेक कटोच ने कहा, वर्ष 2016 उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था क्योंकि हमने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को डायरेक्ट सेलिंग के दिशानिर्देशों पर साथ आते देखा और आने वाले साल भी हमारे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण होंगे।
आईडीएसए 1996 में स्थापित हुई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। आईडीएसए भारत में डयारेक्ट सेलिंग उद्योग के लिए एक स्वायत्त, स्व-नियामक संस्था है। एसोसिएशन भारत के प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिए सुविधा प्रदान करने वाली सरकार और नीति बनाने वाली संस्थाओं के बीच सेतु का कार्य करता है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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