बिजनेस
आरइंफ्रा को 1881 करोड़ रुपये ठेका मिला
मुंबई, 7 फरवरी (आईएएनएस)| रिलायंस इंफ्रास्ट्रकचर (आरइंफ्रा) को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से दो सड़क परियोजनाओं का ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रकशन) आधार पर ठेका हासिल हुआ है, जिसकी कीमत 1,881 करोड़ रुपये है। कंपनी ने बुधवार को यह जानकारी दी। आरइंफ्रा के मुताबिक, यह ठेका एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग)-2 की औरंगाबाद से बिहार-झारखंड सीमा (चोरदाहा) तक के 69.5 किलोमीटर मार्ग को छह लेन बनाने का है, जिसकी लागत 882 करोड़ रुपये होगी तथा दूसरा ठेका एनएच 2 के बिहार-झारखंड सीमा (चोरदाहा) से झारखंड गोरहर खंड के निर्माण का जोकि 71.3 किलोमीटर लंबी होगी। इस परियोजना की लागत 999 करोड़ रुपये है।
बयान में कहा गया है, इस परियोजना की समय सीमा क्रमश: 24 महीने और 30 महीने निर्धारित की गई है।
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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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