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बिजनेस

आरबीआई ने प्रमुख दरें यथावत रखीं, तरलता बढ़ाई

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मुंबई, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| महंगाई के बढ़ते दबाव और राजकोषीय घाटे को लेकर बढ़ी चिंताओं के मद्देनजर आरबीआई ने बुधवार को अपनी प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखा है।

केंद्रीय बैंक ने हालांकि तरलता बढ़ा दी है और साथ ही देश के विकास दर अनुमान को घटा दिया है। इसके लिए वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन और उपभोक्ता एवं कारोबारी विश्वास के घटने को जिम्मेदार बताया गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 2017-18 के लिए चौथी द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा के अनुसार, रेपो दर को छह प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि के लिए उधारी देता है।

आरबीआई ने इसी तरह रिवर्स रेपो दर में भी कोई बदलाव न करते हुए उसे 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

चौथी द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा से जारी बयान में कहा गया है, एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) का निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की चार प्रतिशत महंगाई दर के लक्ष्य को हासिल करने, और वृद्धि दर को समर्थन देने के उद्देश्य के लिए मौद्रिक नीति के एक तटस्थ रुख के अनुरूप है।

यह निर्णय आरबीआई के गवर्नर उर्जित आर. पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने लिया। समिति के पांच सदस्यों ने ब्याज दरों को यथावत रखने के पक्ष में वोट किया।

छह सदस्यीय एमपीसी में तीन सदस्य सरकार के और तीन आरबीआई के होते हैं।

आरबीआई ने अगस्त में अपनी पिछली नीतिगत समीक्षा में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर उसे 6.25 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था।

बयान में कहा गया है, एमपीसी ने देखा कि सीपीआई महंगाई दर पिछली बैठक से अबतक लगभग दो प्रतिशत बढ़ गई है। महंगाई के इस तरह के जोखिम से सावधानी के साथ निपटने की जरूरत है। यद्यपि घरेलू खाद्य मूल्य परिदृश्य व्यापक तौर पर स्थिर है, लेकिन अखाद्य वस्तुओं, खासतौर से कच्चे तेल से महंगाई की रफ्तार बढ़ रही है।

लेकिन व्यवस्था में तरलता डालने के लिए आरबीआई ने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 50 आधार अंक घटाकर 19.50 प्रतिशत कर दिया, जो 15 अक्टूबर से प्रभावी होगा।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश के विकास दर अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया।

इसके पहले आरबीआई ने देश के योजित सकल मूल्य (जीवीए) की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत अनुमानित किया था।

वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने कहा, वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वास्तवित जीवीए वृद्धि दर को संशोधित कर 6.7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके पहले अगस्त का अनुमान 7.3 प्रतिशत था।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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