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बिजनेस

इन्फोसिस के CEO-MD विशाल सिक्का का इस्तीफा, कंपनी के शेयर टूटे

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नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा निर्यातक कंपनी इंफोसिस के एमडी और सीईओ विशाल सिक्का ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सिक्का को तीन वर्ष पहले की कंपनी के सीईओ पद पर नियक्त किया गया था। विशाल की जगह प्रवीण राव को अंतरिम सीईओ-एमडी बनाया गया है। इसके साथ की सिक्का को कंपनी के एक्जिक्यूटिव वाइस-चेयरमैन के पद पर नियुक्त किया गया है।

विशाल सिक्का का इस्तीफा कंपनी की बोर्ड मीटिंग से ठीक एक दिन पहले आया। इस मीटिंग में इंफोसिस को कंपनी के शेयर्स बायबैक पर अहम फैसला करना था। उनके इस्तीफे की खबर फैलते ही भारतीय शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों में जोरदार गिरावट देखी गई। कंपनी की ओर से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के मुताबिक कंपनी ने विशाल सिक्का का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।

सिक्का का इस्तीफा किसी आकस्मिक घटना का नतीजा नहीं है, बल्कि इसकी पृष्ठभूमि लंबे समय से तैयार थी। भारत की अग्रणी आईटी कंपनी इन्फोसिस में आंतरिक कलह लगातार चल रही थी। सिक्का के कामकाज को लेकर कई कर्मचारियों ने भी बगावती तेवर अपनाए थे।

इस लड़ाई में सबसे बड़ी भूमिका इन्फोसिस के संस्थापक सदस्य रहे एन नारायणमूर्ति की रही। नारायणमूर्ति ने कारपोरेट गवर्नेंस को लेकर कई सवाल उठाए थे।

वहीं विशाल सिक्का ने ‘व्यक्तिगत’ हमलों को इस्तीफे का एक कारण बताया है। कंपनी को इस्तीफे के लिए दिए गए नोटिस में सिक्का ने इन्फोसिस की महान क्षमताओं में विश्वास व्यक्त किया है, लेकिन पिछले कुछ महीनों तथा तिमाहियों में ध्यान बंटाने वाली बातों का जिक्र किया है, जो लगातार व्यक्तिगत तथा नकारात्मक होती जा रही थीं।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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