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बिजनेस

‘उत्पादन अनुमान में कटौती से कपास कीमतों में होगा सुधार’

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नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)| कपास बाजार में पिछले दो हफ्ते से जारी गिरावट के बाद घरेलू बाजार में बुधवार को सुधार देखने को मिला। वायदा बाजार में बेंचमार्क सौदों में पिछले कारोबारी सत्र से सौ रुपये से ज्यादा की बढ़त रही।

वहीं, हाजिर बाजार में भी 200-300 प्रति गांठ की रिकवरी देखने को मिली।

बाजार के जानकारों और कपास उद्योग संगठन के मुताबिक, कीमतें अभी निचले स्तर पर आ गई हैं, जहां से और गिरावट की संभावना कम है। इसके साथ ही, उत्पादन में भी कटौती की संभावना है, जिससे बाजार को सहारा मिलेगा।

दुनियाभर के शेयर बाजारों में आई भारी गिरावट से कारोबारियों का उत्साह मलिन हुआ और कपास के वायदा व हाजिर कारोबार में बीते सत्र में मंदी का माहौल छाया रहा। लेकिन बाजार के जानकार बताते हैं कि सफेद सोना इस साल किसानों के लिए सबसे ज्यादा लाभकारी रहा। बाजार भाव भी मौसम में लगातार ऊंचा रहा है और आगे भी मंदी की गुंजाइश कम है।

बाजार के जानकार बताते हैं कि कपास के उत्पादन में भी पिछले अनुमान के मुकाबले कमी देखी जा रही है। कुछ लोग पिछले साल के आसपास ही इस साल 2017-18 में भी कपास का उत्पादन 340-50 लाख टन देख रहे हैं। दरअसल महाराष्ट्र में पिंक वर्म के हमले के बाद उत्पादन में 30 लाख टन से ज्यादा की कमी की गई है।

कॉटन एसोसिएशसन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, अतुल गंतरा ने भी माना कि कीमत अभी बॉटम लाइन पर है और इससे ज्यादा गिरावट की संभावना कम है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को एसोसिएशन की बैठक के बाद उत्पादन अनुमान जारी किए जाएंगे, लेकिन इतना तय है कि पिछले अनुमान में कटौती होगी।

इससे पहले सरकार का अनुमान 375 लाख टन था। इधर, पिछले कुछ सप्ताह में देशभर में कपास की आवक में कमी आई है, जो इस बात का प्रमाण है कि उत्पादन में कमी आई है।

कमोडिटी विश्लेषक मुंबई के गिरीश काबरा के मुताबिक, दुनियाभर में कपास के उत्पादन अनुमान में कमी आ सकती है। कपास का घरेलू बाजार अंतर्राष्ट्रीय बाजारों, खासकर अमेरिका, जोकि दुनिया में कपास का एक प्रमुख निर्यातक है, से प्रेरित रहता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि कपास के वैश्विक बाजार में सुधार से देसी बाजार में मजबूती आएगी।

भारतीय समयानुसार, 17.04 बजे शाम मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कपास का फरवरी वायदा 110 रुपये या 0.56 फीसदी की बढ़त के साथ 19,820 रुपये प्रति गांठ (170 किलोग्राम) पर था, जबकि इससे पहले 19,950 रुपये की ऊंचाई को छुआ। इसी प्रकार अन्य वायदा सौदों में भी तेजी दिखी। मार्च सौदा 130 या 0.65 फीसदी की बढ़त के साथ 20,130 पर बना हुआ था।

गौरतलब है कि एमसीएक्स पर मार्च कपास का भाव इस सीजन में 28 नवंबर, 2017 को सबसे ज्यादा गिरा था। तब कीमत 18,210 रुपये प्रति गांठ हो गई थी। इसके बाद 12 जनवरी, 2018 को कीमतों में सबसे ज्यादा 21,170 रुपये का उछाल आया, जिसके बाद 31 जनवरी, 2018 को लुढ़ककर 19,490 रुपये प्रति गांठ आ गया। जबकि छह फरवरी को 19,780 रुपये पर बंद हुआ।

घरेलू हाजिर बाजार में बेंचमार्क कपास क्वोलिटी, शंकर-6 में 29 एमएम कपास का भाव बुधवार को गुजरात में 200-300 रुपये की बढ़त के साथ 40200-40500 रुपये प्रति कैंडी (370 किलोग्राम) था।

मंगलवार को गुजरात में 40000-40,200 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) था, जबकि इस सीजन में एक अक्टूबर, 2017 को 38,000 रुपये से आरंभ कर नौ नवंबर को भाव सबसे निचले स्तर 37,200 रुपये प्रति कैंडी तक गिरा। वहीं 12 जनवरी को सबसे भाव 42000 रुपये का ऊपरी स्तर को छुआ।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 10 अक्टूबर, 2017 को आईसीई पर कपास का भाव 67.30 सेंट प्रति पाउंड था, जोकि 12 जनवरी को सबसे ऊपरी स्तर 84.65 सेंट पर जा पहुंचा। पिछले सत्र में मार्च वायदा 75.85 व 76.80 सेंट प्रति पाउंड के बीच रहा, जोकि 21 दिसंबर, 2017 के बाद का न्यूनतम स्तर है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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