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उप्र : संगठित अपराध के खिलाफ विधेयक विधानसभा में पारित

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लखनऊ, 27 मार्च (आईएएनएस)| विधान परिषद की पहले मंजूरी हासिल करने में विफल रहने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने संगठित अपराध के खिलाफ प्रस्तावित कानून को मंगलवार को फिर से विधानसभा में पेश किया, जिसे बाद में पारित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण कानून (यूपीकोका) संबंधित विधेयक को पेश करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन से कहा कि उनकी सरकार कानून का शासन सुनिश्चित करने व राज्य के 22 करोड़ लोगों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है।

उन्होंने कहा कि संगठित अपराध व राष्ट्र विरोधी तत्वों को राज्य से बाहर निकालना जरूरी है।

आदित्यनाथ ने कहा, शांति बाधित करने, आतंकवाद व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों से कड़ाई से निपटा जाएगा और विधेयक इस दिशा में एक प्रमुख कदम है।

विधेयक को 23 दिसंबर को विधानसभा में पारित कर दिया गया था, लेकिन जब 13 मार्च को इसे विधान परिषद में पेश किया गया तो इसे झटका लगा, जहां सत्तारूढ़ भाजपा बहुमत में नहीं है।

प्रस्तावित कानून महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून की तर्ज पर तैयार किया गया है। इस कानून को विपक्ष ने ‘कठोर’ कह कर इसका विरोध किया है। विपक्षी पार्टियों ने प्रस्तावित कानून का अल्पसंख्यकों व राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने की आशंका जताई है।

हालांकि, विधानसभा ने मंगलवार को विधेयक को फिर बिना किसी संशोधन के पारित कर दिया, लेकिन ऊपरी सदन में संख्या की कमी होने से विधेयक फंस सकता है।

सौ सदस्यों वाली विधान परिषद में भारतीय जनता पार्टी के 13 सदस्य, समाजवादी पार्टी के 61, बहुजन समाज पार्टी के नौ, कांग्रेस के दो, राष्ट्रीय लोक दल के एक व दूसरी पार्टियों के 12 सदस्य हैं। दो सीटें खाली हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधेयक को सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए पारित किया गया है, जबकि नेता प्रतिपक्ष राम गोविद चौधरी ने कहा कि उनकी समाजवादी पार्टी प्रस्तावित कानून का विरोध जारी रखेगी।

आदित्यनाथ के कानून-व्यवस्था में सुधार के दावे का विरोध करते हुए चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री के शासन में अपराध 20.37 फीसदी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक के कानून बन जाने से इसका इस्तेमाल निर्दोष लोगों के खिलाफ होगा।

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महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने दिया इस्तीफा, क्या फडणवीस के सिर सजेगा ताज ?

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मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस दौरान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे। विधानसभा का कार्यकाल आज यानी 26 नवंबर तक ही है। नए मुख्यमंत्री की शपथ की तारीख तय नहीं है। तब तक शिंदे कार्यवाहक सीएम रहेंगे।

इस बीच महाराष्ट्र में अगली सरकार के गठन की रूपरेखा लेकर चर्चा तेज हो गई है। खबर है कि गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर सकते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले ‘महायुति’ गठबंधन ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 235 सीट हासिल की हैं। जिसमें बाजेपी अकेली 135 सीटों पर कब्जा कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

बीजेपी की महाराष्ट्र में ये अब तक की सबसे बड़ी जीत है। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 41 सीट पर जीत दर्ज की है। मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे है।

 

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