Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

एईएस से 6 साल में साढ़े छह हजार से ज्यादा मौतें

Published

on

AES-death-toll

Loading

– सबसे अधिक मौतें (3,442) उत्तर प्रदेश में हुईं

पटना। बिहार में हर साल गर्मी के मौसम में कई बच्चों की मौत एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) नामक बीमारी से हो जाती है। सूचना के अधिकार (आटीआई) के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से मांगी गई जानकारी से यह बात सामने आई है। मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि देश में पिछले छह वर्षो के दौरान एईएस से 6,867 लोगों की मौत हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में एईएस से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (3,442) में हुई हैं।

केंद्रीय मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षो में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से 3000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। देश के विभिन्न राज्यों में एईएस से पिछले वर्ष जहां 1711 रोगियों की मौत हुई थी, वहीं वर्ष 2013 में 1273 और वर्ष 2012 में 1256 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बिहार के एईएस से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र मुजफ्फरपुर के निवासी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे अभिषेक रंजन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दिनों देश के एईएस से सर्वाधिक प्रभावित 60 जिलों की पहचान कर वहां रोग से बचने के उपाय शुरू किए गए हैं। इसमें कई मंत्रालयों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत इन सभी जिलों में बच्चों के लिए 10 बिस्तरों वाले अस्पताल की स्थापना की जा रही है तथा टीकाकरण एवं लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में एईएस से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (3,442) में हुई हैं। इस अवधि में असम में 1320, बिहार में 1072 और पश्चिम बंगाल में 736 लोगों को इस बीमारी के चपेट में आने से अपनी जान गंवानी पड़ी है। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुजफ्फरपुर, गया, सारण, सिवान सहित कई जिलों में प्रतिवर्ष एईएस से सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। पिछले तीन वर्षो से राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र की विशेषज्ञों की टीम तथा पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम एईएस से पीड़ित लोगों के खून के नमूने तथा कई अन्य प्रकार के नमूने की जांच के लिए आती है। यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों में होती है।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending