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बिजनेस

एमसीएक्स ने शुरू किया पीतल में वायदा कारोबार

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नई दिल्ली, 26 मार्च (आईएएनएस)| दुनिया में पहली बार किसी मिश्र धातु में वायदा कारोबार भारत के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) ने सोमवार को शुरू किया। एमसीएक्स पर पीतल में शुरू हुए वायदा कारोबार को पहले ही दिन बेहतर प्रतिक्रया मिली।

एमसीएक्स के मुताबिक, पीतल में कारोबार की अच्छी संभावना है और अगले कुछ हफ्तों में लोगों को जब पता चलेगा तो और भी बेहतर प्रतिक्रियाएं मिलेंगी।

एमसीएक्स के एक अधिकारी ने बताया कि पीतल में वायदा कारोबार शुरू होने से पीतल में कारोबार करने वालों को हेजिंग करने का मौका मिलेगा।

उन्होंने बताया कि दुनिया में पहली बार किसी मिश्र धातु (अलॉय) में वायदा कारोबार शुरू किया गया है। पीतल एक मिश्र धातु है जिसमें 60 फीसदी तांबा और 40 फीसदी जस्ता होता है।

पीतल में एमसीएक्स पर बहरहाल अप्रैल, मई, जून और जुलाई के सौदे यानी अनुबंध लांच किए गए हैं लेकिन पहले दिन का पूरा कारोबार अप्रैल वायदा सौदे में ही हुआ। एमसीएक्स के अधिकारी गिरीश देव ने बताया कि दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे तक पीतल के अप्रैल अनुबंध में 376 मीट्रिक टन का सौदा हो चुका था जिसका मूल्य करीब 13 करोड़ रुपये है।

अप्रैल वायदा अनुबंध सोमवार को 345 रुपये प्रति किलोग्राम पर खुला और थोड़ी गिरावट के बाद 343 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था।

केडिया कमोडिटी के निदेशक विजय केडिया ने बताया कि पहले दिन के कारोबार में अच्छी प्रतिकिया मिली है और आगे इसमें और वॉल्यूम बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पीतल की देश में काफी मांग है और इससे बनी वस्तुएं अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी को ज्यादा निर्यात होती हैं।

गुजरात में जामनगर पीतल उद्योग का देश में सबसे बड़ा केंद्र है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और हरियाणा के जगाधरी में भी पीतल उद्योग है। देव ने बताया कि मुरादाबाद में दोबारा उपयोग में आने वाले पीतल का उपयोग ज्यादा होता है।

भारत सालाना करीब 2.5 लाख टन पीतल का उत्पादन करता है, जिसमें प्रमुख धातु और दोबारा उपयोग में लाई गई पीतल निर्मित वस्तुएं भी हैं। देश में अमेरिका, मध्यपूर्व, अफ्रीका और यूरोप से पीतल, तांबा और जस्ता के कबाड़ मंगाए जाते हैं और उसको रिसाइकल करके पीतल तैयार किया जाता है। भारत तांबा और जस्ता के कबाड़ भी विदेशों से मंगाता है और पीतल से निर्मित चीजें अमेरिका, यूरोप और मध्यपूर्व के देशों को बेचता है।

पीतल का उपयोग भवन और निर्माण क्षेत्र, बिजली उद्योग, सेनेटरी व हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट उद्योग, रक्षा उपकरण उद्योग, पंप व वाल्व, हस्तशिल्प और बर्तन उद्योग में होता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015-16 में भारत ने 1.5 लाख टन तांबे का आयात किया था, जबकि देश से पीतल निर्मित वस्तुओं का निर्यात महज 32,912 टन हुआ था।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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