Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

ऐतिहासिक संजीवनी बूटी हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में खोजी जाएगी

Published

on

उत्तराखण्ड का स्वास्थ्य महकमा, संजीवनी बूटी की खोज, हिमालय पर्वत के दुर्गम क्षेत्र, रामायण और दूसरे ग्रंथो के लेखों की मदद

Loading

उत्तराखण्ड का स्वास्थ्य महकमा, संजीवनी बूटी की खोज, हिमालय पर्वत के दुर्गम क्षेत्र, रामायण और दूसरे ग्रंथो के लेखों की मदद

himalaya uttarakhand sanjeevani buti

देहरादून। उत्तराखण्ड का स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर संजीवनी बूटी की खोज को लेकर जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। स्वास्थ्य महकमे ने संजीवनी बूटी की खोज के लिए एक कमेटी का गठन किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने विधान सभा में संजीवनी की खोज को लेकर एक अहम बैठक की, जिसमें आयुर्वेद विभाग के कई अधिकारी भी मौजूद रहे।

स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों के साथ संजीवनी बूटी की खोज को लेकर कई मसलों पर चर्चा की। खासतौर से हिमालय पर्वत के दुर्गम क्षेत्रों में संजीवनी के मसले पर चर्चा हुई। दरअसल आयुर्वेद विभाग अब संजीवनी बूटी की खोज के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी का कहना है कि संजीवनी के बारे में पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों से भी जानकारी जुटाई जा रही है, साथ ही रामायण और दूसरे ग्रंथो के लेखों की मदद भी ली जा रही है।

नेगी का कहना है कि अब तक संजीवनी बूटी की खोज के लिए कई लेखकों ने अपनी किताबें लिखी हैं। संजीवनी की खोज आयुर्वेद विभाग के लिए एक ऐतिहासिक खोज सिद्ध होगी। क्योंकि आने वाले सालों में आयुर्वेद चिकित्सा का ग्राफ बढ़ेगा और इंसान आयुर्वेदिक चिकित्सा की तरफ फिर लौट रहा है। इस नजारिए से संजीवनी की खोज आयुर्वेद विभाग के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

संजीवनी आम लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि जिस तरह से शास्त्रों में संजीवनी को लेकर कई महत्वपूर्ण लेखों का वर्णन किया गया है इससे साफ है संजीवनी समाज के लिए काफी अहम होगी। फिलहाल स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि सितम्बर से संजीवनी की खोज के लिए कमेटी के सदस्य पर्वतीय क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे और संजीवनी की तलाश करेंगे।

Continue Reading

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

Published

on

Loading

उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

Continue Reading

Trending