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कर्नाटक चुनाव : श्रीनिवासपुर में कांग्रेस और जेडी-एस में मुकाबला

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नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं, वहीं ‘किंग मेकर’ की भूमिका निभाने का दावा करने वाला जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) श्रीनिवासपुर सीट पर मंत्री को चुनौती दे रहा है। भाजपा इस सीट पर अपना अस्तित्व तलाश रही है।

पांच बार के विधायक और राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री यानी कांग्रेस के कद्दावर नेता के.आर. रमेश कुमार अपनी पारंपरिक सीट से इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला जेडी-एस के जी.के. वेंकटेश्वा रेड्डी से है।

कर्नाटक विधानसभा सीट संख्या-144 यानी कोलार जिले के शहर श्रीनिवासपुर को ‘आम के शहर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह आमों का सबसे बड़ा उत्पादक इलाका है। श्रीनिवासपुर विश्व में एकमात्र जगह है जहां आम की सभी 63 प्रजातियां पाई जाती हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए बागवानी व्यवसाय का प्रमुख माध्यम है।

श्रीनिवासपुर निर्वाचन क्षेत्र में करीब दो लाख से ज्यादा मतादाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,02,622 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,01,532 हैं।

इस जगह का जिक्र पौराणिक कथाओं में मिलता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां आकर कुछ समय बिताया था, जिसके बाद इस जगह का नाम श्रीनिवासपुर पड़ा।

वर्ष 2013 में श्रीनिवासपुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के मौजूदा विधायक के.आर. रमेश कुमार ने 51.19 प्रतिशत वोटों के साथ 83,426 वोट हासिल किए थे। जबकि जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवार जी.के. वेंकटेश्वा रेड्डी ने 79,533 वोटों के साथ 48.81 प्रतिशत वोट वोट हासिल किए थे और दूसरे नंबर पर रहे थे।

श्रीनिवासपुर क्षेत्र में अधिकतर मुकाबले कांग्रेस और जनता दल के बीच ही लड़े गए हैं। अब तक कुल 12 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने आठ मुकाबलों में जीत हासिल की है जबकि दो में जनता दल ने बाजी मारी है। इसके अलावा एक बार आईएनडी और एक बार एनसीओ ने चुनावों में जीत दर्ज की है। कांग्रेस की ओर से अकेले रमेश कुमार ने पांच बार यहां से चुनाव जीता है, इसके साथ ही वह 2018 चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का पद संभाल रहे के.आर. रमेश कुमार को पार्टी ने एक बार से चुनाव मैदान में उतारा है। रमेश कुमार को जून, 2016 में कैबिनेट मंत्री के रूप में सिद्ध रमैया की अगुआई वाली सरकार में शामिल किया गया था।

रमेश कुमार ने सत्तर के दशक में कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, लेकिन अस्सी के दशक के मध्य में उन्होंने जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद, नब्बे के दशक में वह जनता दल में शामिल हो गए। रमेश कुमार ने वर्ष 2000 में घर वापसी करते हुए एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।

उन्होंने अपने चालीस वर्ष के राजनीतिक करियर में कर्नाटक सरकार में कई पदों पर कार्य किया है। रमेश 27 दिसंबर 1994 से 24 अक्टूबर 1999 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। कांग्रेस ने उनके रुतबे को देखते हुए उन पर भरोसा जताया है।

वहीं मुख्य विरोधी दल जेडी-एस ने एक बार फिर जी.के. वेंकटेश्वा रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। रेड्डी ने कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था और 1983 में पार्टी के बैनर तले चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने 1989 और 1999 में भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। लेकिन 2004 के चुनावों में पार्टी और उनके बीच गतिरोध के कारण उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और जनता दल में शामिल हो गए। 2008 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतने वाले वेंकटेश्वा रेड्डी एक बार फिर से चुनाव में जेडीएस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

श्रीनिवासपुर में अपना अस्तित्व तलाश रही भाजपा ने डॉ. वेणुगोपाल के.एन. को इन दो दिग्गजों के बीच मैदान में उतारा है। इनके अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पी.आर.सूर्यनारायण, रिपब्लिकन सेना ने सत्या अरुं धति, ऑल इंडिया वुमेन इंपॉवरमेंट पार्टी ने संदीपा एम.जी. को दिग्गजों की जंग के साथ मैदान में खड़ा किया है। साथ ही छह निर्दलीय भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहले ही जेडी-एस को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है।

कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए राज्य में 56,696 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिसमें 4,96,82,357 (4.96 करोड़) मतदाता अपने मतों का प्रयोग कर नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। मतदान 12 मई को होगा और मतगणना 15 मई को होगी।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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